अनहोनी, इक अंदेशा

प्रतियोगिता ~ बोलती कलम
विषय ~ अनहोनी , इक अंदेशा

कल नही तो आज होगा , होगा वही जो होना होगा ,
फल की इच्छा की है तो बीज भी अच्छा बोना होगा ,

अनहोनी जब होती है, हम निःशब्द और दिमाग शून्य हो जाता है ,
हमारे सारे कर्मो का परिणाम ही हमारे खाते में आता है ।

जान लेते है हम अपने अंतर्मन से , मान लेते है अपने दिल से ,
ये अनहोनी होने को है, होती ही है फिर कहीं न कहीं से ।

कभी – कभी दिल मायूसी में आ जाता , एक अंदेशा सुझा जाता है ,
पता नही कौन सी अनहोनी , खुशियां न छीन ले ये खौफ खाता है ।

दिल मे रहती आशंका , न जाने कब क्या हो मन मे रहता डर ,
अनहोनी के चलते रुक जाती है साँसे भय रहता हर पहर ।

एक और वो काल था , अनहोनी का जंजाल था ,
छू न सका जब इंसां इंसां को , मौत का वो कोरोना काल था ।

उम्मीद जगाने से जागती है , किया जाए मिलकर मुकाबला तो मुश्किलों के हल मिलते है ,
सलाम है ऐसे व्यक्ति को जो अनहोनी को होनी में पलटकर हमें दिशानिर्देश करते है ।

कोई कहे भविष्यवाणियां है , तो किसी ने कहा खुदा की नाराजगी ,
कोई नही बचता इस कहर से , चाहे जोर लगा लो अपनी तरफ से ।

देती है हमें हर अनहोनी होने से पहले जरूर एक संदेशा ,
आ ही जाता है समझ मे हमें , किसी घटना का अंदेशा ।

बच नहीं पाएगा कोई , दुनिया मे नहीं कोई इससे बचने का कोना है ,
होगा वही , जो है हमारे कर्मो के हिसाब से किसी अनहोनी का होना है ।

होनी हो , या अनहोनी हो , सबकुछ होगा ये जहान है ,
जो हमारे बस में नहीं वो तो बस एक विधि का विधान है ।

हो रही है आज भी मंदिर , मस्जिद और धर्मो की लड़ाई ,
जाने अनजाने में हमने अपने ही मासूमों की जान गंवाई ।

गौर कीजिए आज के हालात पर , सोचा नही था कभी ऐसी विपदा भी आएगी ,
युद्ध के होंगे हालात और सैनिकों की कुर्बानी अनहोनी कहलाएगी ।

कोई नहीं ऐसा सक्षम और प्रबल है जो इसके आगे टिका है,
हर अनहोनी को नियति ने होने के लिए ही लिखा है ।

हा एक बात जरूर है किन्हीं परिस्थितियों में इसे टाला जा सकता है ,
हमारे अंतर्मन की ऊर्जा से इसे वक्त पर संभाला जा सकता है ।

®©Parul yadav~

Round ~ सेमी फाइनल
अल्फ़ाज़ -e- सुकून

Updated: May 11, 2025 — 12:10 pm

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