अपना एक आशयाना

विषय….. काव्य का आर्दश,
शीर्षक…. अपना एक आशयाना,
भाषा… हिंदी, कविता,
शैली… स्वैच्छिक काव्य, ज्ञान,
नो मार्किग…

तिनका तिनका जोड़ कर, अपना एक आशयाना बना लिया,
हिम्मत न हारी हूं मै, मै वो एक चिड़िया हूँ,,

जिसने अपना ठिक ना बना, बहती पानी का वो किनारा,
जिसे मैं ढूढ रही हूँ, वो वृक्ष पेड़ की वो डाल को खोज लिया,,

तिनका तिनका जोड़कर, अपना एक आशयाना बना लिया,
लिये आखों में सपनों का मंजर, को वो मै में पार किया,,

लियें पंखो में भरे उड़ान, सात समुंद्र पार किया,
अपने के खातिर हर मोड़ पर जोखिम भरा लिया,,

खुद को शांत महसूस कर, दूसरो को भर पूर प्यार कर,
सपनो का मंदिर बना लिया,,

तिनका तिनका जोड़ कर, अपना भी एक ठिकाना बना,
न थकी न हारी हर मुशकिल राहो, को फिर से अपना लिया,,

तिनक । तिनका जोड़कर अपना एक आरायाना बना लिया…

न थी वो मेरे कटे पंख में,वो ताकत, फिर भी रिझती आँखो,
में वो सपना, हर हाल में वो पूरा सपना किया,,

चुन चुन कर वो दाना मै लायी, खुद भी भूखी मै न रही,
और दूसरो को भूखा भी न रखी,, दूसरो को सतुष्ट पहले किया,,

अपना एक आशयाना बना, मेहनत का वो सबसे मीठा,
हर बाध्य की पीड़ा सबसे पहल, न थकी न हरी सबसे सुन्दर
है अपना एक आशयाना,,

तिनका तिनका अपना एक सुन्दर आश याना,,

विषय….. काव्य का आर्दश,
शीर्षक…. अपना एक आशयाना,
भाषा… हिंदी, कविता,
शैली… स्वैच्छिक काव्य, ज्ञान,
नो मार्किग…

तिनका तिनका जोड़ कर, अपना एक आशयाना बना लिया,
हिम्मत न हारी हूं मै, मै वो एक चिड़िया हूँ,,

जिसने अपना ठिक ना बना, बहती पानी का वो किनारा,
जिसे मैं ढूढ रही हूँ, वो वृक्ष पेड़ की वो डाल को खोज लिया,,

तिनका तिनका जोड़कर, अपना एक आशयाना बना लिया,
लिये आखों में सपनों का मंजर, को वो मै में पार किया,,

लियें पंखो में भरे उड़ान, सात समुंद्र पार किया,
अपने के खातिर हर मोड़ पर जोखिम भरा लिया,,

खुद को शांत महसूस कर, दूसरो को भर पूर प्यार कर,
सपनो का मंदिर बना लिया,,

तिनका तिनका जोड़ कर, अपना भी एक ठिकाना बना,
न थकी न हारी हर मुशकिल राहो, को फिर से अपना लिया,,

तिनक । तिनका जोड़कर अपना एक आरायाना बना लिया…

न थी वो मेरे कटे पंख में,वो ताकत, फिर भी रिझती आँखो,
में वो सपना, हर हाल में वो पूरा सपना किया,,

चुन चुन कर वो दाना मै लायी, खुद भी भूखी मै न रही,
और दूसरो को भूखा भी न रखी,, दूसरो को सतुष्ट पहले किया,,

अपना एक आशयाना बना, मेहनत का वो सबसे मीठा,
हर बाध्य की पीड़ा सबसे पहल, न थकी न हरी सबसे सुन्दर
है अपना एक आशयाना,,

तिनका तिनका अपना एक सुन्दर आश याना,,

स्वरचित… खुशबू वर्मा
आगरा🖊️🖊️

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