प्रतियोगिता – काव्य के आदर्श
विषय – अब यह चिड़िया कहां रहेगी
आंधी तुफ़ा अब सब सह लेगी
पंखों को और मज़बूत कर लेगी
लेकिन जब क्रूरता हद पार करेगी
तब चिड़िया की अश्रु धार बहेगी
घोंसला अब बच्चे कहा पहचानते
चिड़ियों की ची-ची स्वप्न हैं मानते
उनके सामने ही जब पेड़ कटेगा
वहीं बच्चा उनकी व्यथा समझेगा
प्रश्न उठाता हैं जनकवि कड़वे आज
कैसे हम मानव हैं हमपर हैं धिक्कार
कौआ को कंकड़ खुद ना डालना पड़े
तब मानवता की विजय कलम लिखेगी
फिर नहीं पूछेगा कोई ये सवाल शिवोम
कभी तुमसे कि अब ये चिड़िया कहा रहेगी
✍️ ✍️ शिवोम उपाध्याय