कविता—- आज का भारत
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मैं नमन सभी को करती हूं। अगली कुछ पंक्तियों में मैं आज के भारत की बात करती हूं।
यह जो है आज का भारत ये यूं ही नहीं आजाद हुआ।
जाने कितनों की जान गई जाने कितनों का घर बर्बाद हुआ।
वर्षों से कर रहे थे जो संघर्ष फिर उसका परिणाम आया
15 अगस्त 1947 को भारत ने स्वतंत्रता को अपनाया।
शुरुआती गति धीमी थी मगर फिर पटरी पर रेल आई।
चारों तरफ हुई तरक्की हुई नई तकनीकी आई।
हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और वैज्ञानिक युग शुरू हुए।
नए नवीन स्वतंत्र भारत में अनेक अनोखे प्रयोग हुए।
अणु परमाणु जीव वनस्पति पृथ्वी पर शोध करता है।
आज का भारत ऐसा है जो चंद्रमा पर खोज करता है।
कांस्य रजत और गोल्ड जीते हर खेल में लोहा मनवाया है ।आदर्शों की राह पर चलकर यह भारत विश्व गुरु बन पाया है।
साहित्य, कला, विज्ञान या हो वैश्विक शांति की बात..
सबसे आगे रहता भारत विश्व को लेकर चलता साथ..
उन्नति हुई हर दिशा में बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है।
हर एक क्षेत्र में रहता आगे बस एक ही बात में पिछड़ा है।
जिस भारत की महानता का दुनिया करती व्याख्यान
उसकी युवा पीढ़ी को नहीं मालूम शूर वीरों तक के नाम..
आसान है बहुत इनके लिए बापू को बदनाम करना ।
नही जानते, था कितना मुश्किल सत्याग्रह संग्राम करना ।
इनकी बुद्धि पर तो बस सोशल मीडिया का ज्ञान भारी है। असली इतिहास के पन्नो की इन्हें बहुत ही कम जानकारी है।
वैसे तो आज का भारत खूब फलता और फूल रहा है ।
मगर आधुनिकता के चक्कर में अपनी संस्कृति भूल रहा है।
सुनो युवाओं आज तुम्हे ये सिर्फ झड़ा नहीं फहराना है।
रखना है मान तिरंगे का रास्ता पूर्वजों का दोहराना है।
अपनी अंतिम पंक्तियों में रखती हूं भारत मां का मान।
भारत का हर नागरिक करे, स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान।
प्रियंका शर्मा, सहारनपुर उत्तर प्रदेश