कर्म ही पूजा
कर्म के बिना कुछ हासिल नहीं
कर्म ही पूजा है मार्ग कोई दूजा नहीं
जो बोया उसी का फल मिलता है
भाग्य अकेला विकल्प नहीं
कर गुजरने की जो ठान लेते है
इससे बड़ा कोई संकल्प नहीं
सत्कर्म से मिलता है सुकून
मन की शांति से बड़ा कोई गन्तव्य नहीं
किया जाता है जब भी शिद्दत से
मिल जाता है जो लगता हैं मुमकिन नहीं
वक्त लगता है बीज को फूल बनने मे
धैर्य से बड़ा कोई संबल नहीं
राह मे मुश्किलें तो आती रहती है
आसानी से मिलता कोई मुकाम नहीं
गिर कर उठने का जो साहस रखते है
जिन्दगी उनके लिए मुश्किल नहीं
इंसान ने भेदे ही कई रहस्य संसार के
हिमालय भी इतना ऊंचा नहीं जो फतेह नहीं
कर्म को ही पूजा जो समझते है
इससे बड़ी होती कोई इबादत नहीं
कर्म की राह पर जो चलते हैं
उनकी आँखों से ओझल कभी मंजिल नहीं
कर्म को अगर धर्म का साथ मिल जाए
फिर वो किसी के आगे कभी झुकता नहीं
Ravikant Dushe