सीरीज 1 प्रतियोगिता 3
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प्रतियोगिता टॉपिक : कर्म ही पूजा
चरण : अंतिम
रचयिता : सुनील मौर्या
कर्म ही पूजा 🙏
जीवन की राहों में जब अंधियारा छा जाता है,
कर्म का दीपक ही, तब हमे दिशा दिखाता है।
सपनों की मंज़िल तक पहुँचने का सूत्र यही,
न हार माननी है कभी, ना ही रुकना कहीं।
जो श्रम को ईश्वर मान निरंतर आगे बढ़ता है,
हर बाधा को चीर, सफलता की सीढ़ी चढ़ता है।
पूजा केवल दीप, धूप और मंत्रों से नहीं होती,
सच्ची आराधना तो अच्छे कर्म करने से होती।
आलस्य की जंजीरों को हमें तोड़ना ही होगा,
हर परिस्थिति में, खुद को मोड़ना ही होगा।
जो हाथ श्रम करते हैं, वही इमारतें बनाते हैं,
जो अच्छे कर्म करते हैं, सबका दिल जीतते हैं।
तपस्या वही है, जो श्रम की धारा में बहती है,
साधना वही है, जो कर्म के गंध से महकती है।
कठिनाई आए तो हमे कहीं, ठहरना नहीं है,
गिरकर भी उठना है और फिर, रुकना नहीं है।
लक्ष्य पाना है तो, हमारा समर्पण भी जरूरी है,
कर्म की डगर पर चलकर, होती निष्ठा पूरी है।
हर प्रयास में प्रार्थना की एक छवि मिलती है,
हर संघर्ष से किस्मत की रेखा ख़ुद खिंचती है।
श्रम की थकान के बाद, जो संतुष्टि मिलती है,
सफलता की मुस्कान, हमारे चेहरे पर दिखती है।
यही सत्य है, यही जीवन का एक अहम सूत्र है
कर्म ही पूजा है, यही सफल जीवन का मंत्र है..
सुनील मौर्या