प्रतियोगिता ~बोलती कलम
“कलम की धार, तलवार से तेज ~
कलम की धार बहुत तेज चलती है ,
सीधे दिल पर आकर रुकती है ,
हो जाता है इसका असर बहुत गहरा
अंदर से झकझोर कर रख देती है ।
शब्द कम पड़ते है इसकी तारीफ में ,
इससे लिखे लफ़्ज़ उतरते है दिल में ।
चलती है प्यार में तो भाव लिख देती है,
वरना तो क्रोध में घाव कर देती है ।
लिखकर कागज़ पर मन की बातें
कट जाती है बेफिक्री में सारी रातें ,
लफ़्ज़ों के मोती माला बन जाते है,
मिलकर सारे भाव सपना सजाते है ।
ये शब्द ही है जो प्यार लिखते है ,
प्यार में आकर इज़हार लिखते है,
आ जाते है जब अपनी क्रांति पर ,
तो परिवर्तन की तलवार लिखते है ।
क्या कहूँ कलम की ताकत को ,
खामोश रहने वाले जुबां लिखते है ,
बात हो एकता की तो हिन्दुस्तां लिखते है,
देश की कुर्बानी को बलिदान लिखते है।
कलम ही है जो इतिहास बयां करती है ,
पोथी पढ़कर इंसान को विद्वान बनाती है ,
इसी की क्रांति से तलवार मात खाती है ,
साधारण से इंसान को लेखक बनाती है ।
ये कलम ही है जो एक चुटकी सिंदूर
की कीमत इतिहास में दर्ज करवाती है,
भारत का शौर्य यादगार बनाती है ,
कलम ही हम सभी को हिम्मत दिलाती है ।
तलवार जहा जिस्म को लाल करती है ,
कलम अपनी ताकत से सिंदूर लिखती है ,
तलवार जहा खून का दरिया बहाती है ,
वही कलम दिल मे सिंदूर का जज़्बा जगाती है ।
®©Parul yadav
Round two ~