गर्मी की छुट्टियां, नानी का घर

प्रतियोगिता: शब्दों के अमृतवाणी
Series 1
टॉपिक “गर्मी की छुट्टियां नानी का घर,”

गर्मी की छुट्टियां नानी का घर,
सुकून की हवाएं आती, जब सोते थे बाहर।

आंगन में बिछी खटिया, खुला आसमान था,
टिमटिमाते थे तारे, चाँद स रोशन एक अरमान था।

बिजली ना थी, पर दीयों का उजाला,
जुगनुओं का नाच, जैसे मनोरंजन का पिटारा।

दिखता था चांद और टिमटिमाते थे तारे,
हम थे गोल मटोल नानी के सबसे प्यारे।।

गर्मी की छुट्टियां अति थी,
विद्यालय से फुर्सत मिल जाती थी।

शहर के शोर को छोड़ के,
दिल तड़पता गांव की हवा खाने।
यू तो रास्ता मुझे भी पता था,
पर पापा आते थे नानी के घर छोड़ जाने।

खाते थे गांव के अनदेखे पकवान,
मीठी के चूले पे पकी *सर्वा पिंडी,
और दांत खट्टे कर देने वाली *गैंगुरा पचचड़ी।

वो गांव का खेल निराला,
गिल्ली डंडा, चिक्किर पिट्टा के लगता था प्यारा।

मामा के संग गांव की सैर पर निकलना,
वो कच्छी सड़कों पे चलना।

साइकिल चलाना सीखा भाइयों से,
जब गिर गए तो रो पड़े *घायो से।

उसी साइकिल पे बिठा के जब वो वापिस लाए,
खेतों के कच्चे रास्ते,
मिट्टी की सोंधी खुशबू से सारे दर्द भूल जाए।।

वो बरगद की छांव में कहानियों का संसार होता,
किर किर करती आवाज के बीच,
बच्चों के सामने पुराने दास्तानों का विस्तार होता।

सुबह चलती…. चिड़ियों की चहक,
और आती वो कच्चे आमो की महक।

घर से नमक मिर्च चुरा के, कच्चे आम खाते थे,
फिर नानी के हाथों पकड़े जाते थे।

नानी का गांव नहीं, जन्नत का था वो एहसास,
उन पलों की यादें, आज भी है मेरे पास।

ये बस यादें ही नहीं, मेरे दिल का वो कोना है,
तस्वीरें मौजूद नहीं पर यादों के मोतियों को,
सांसों के धागों में पिरोना है।

©Sadia

*सर्वा पिंडी: a savory spiced rice flour pancake in Telangana
*गैंगुरा पचचड़ी: लाल सोरेल (रोसेल) के पत्तों से बनी एक तीखी, मसालेदार, खट्टी चटनी या आचार
*घायो: चीख कर रोना

The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *