ज़िंदगी का संघर्ष

विषय: जिंदगी का संघर्ष

एक ठेला खींचता इंसान
घोड़े नहीं, खुद बन जाता रथवान
पसीने से लथपथ पर उसके हाथ में जिंदगी की लगाम, आँखों में बसी अब भी सुबह की शाम……

एक ओर जिसके हाथ नहीं
पैरों से सम्भालता टराली की स्टीयरिंग
उम्मीदों में है अब भी जान
कोई कमज़ोरी नहीं यह अब तुम भी जान…

कोई बर्जुग को खाना थमा रहा
यह एक नई राह बता रहा
खुद के लिए सभी जीते,
पर ओरों की मदद करना सिखा रहा…

सुकुन मिल जाता, दूसरों की मदद करके
जीने का अंदाज बता रहा, जो आती है खुशी दूसरों की मदद करके, उसका कोई मोल नहीं यह बता रहा…..

मज़दूर ईटों से घर बनाते
पर वह कहाँ वहां रह पाते
दूसरों का घर सजाकर
अपने लिए सपनों का महल बनाते…..

मेहनत के पैसे मिलते उन्हें
उनसे अपने घर का खर्च चलाते
अपना घर छोड़कर , अपनों के लिए
जी – तोड़ मेहनत वह कर जाते….

एक नन्हा बच्चा सपना संजो आता
सपनों में सूट – बूट पहन आता
ब्रीफकेस पकड़े वह यह सोचे
गरीब हूँ मैं अभी, अमीर बनना तकदीर मेरी…

लड़के ने टी – शर्ट देखी
उसी वक्त उसकी सोच बदली
दुनिया चाहे कुछ भी कहे
अपनी तकदीर उसने खुद रची…

आखिर में मैं क्या बताऊँ
खुद को कहाँ देखना चाहूँ
यह मैं कैसे समझ पाऊँ
बनाना चाहे वो ( भगवान) मुझे ,उसकी रजा में मैं खुश हो जाऊँ….
©® Malwinder kaur
Mmmmmalwinder✍️

Updated: August 22, 2025 — 6:58 am

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