तलवार बनाम कलम

प्रतियोगिता – शब्दों की ताक़त (कलम से आवाज़ तक)
प्रथम चरण
विषय – कलम बनाम तलवार

सुनो कलम मैं तलवार हूं तुमसे तेज चलती हूं
योद्धा के हाथ में जाते ही रक्त भी बिखेरती हूं
लक्ष्मीबाई ने मुझको अपना साथी था बनाया
सदियों से ही मैं तो वीरों के पास ही रहती हूं

कितनी शौर्यगाथा हैं मेरी नाम इतिहासों में हैं
मेरी धार के आगे फीकी तुम्हारी स्याही भी हैं
महलों में मैं रहती हूं साथ हमेशा युद्धवीरों के
अब तुम बताओ जरा तुम्हारी क्या विशेषता हैं

शांत रहती हूं मैं लेकिन प्रभाव मेरा भी भारी हैं
मैं बनाती हूं भविष्य तुमसे ज्यादा ज़िम्मेदारी हैं
वीर हो या ज्ञानी सभी के हूं मैं पास में ही रहती
विशेषता ये हैं मेरी मुझमें तुमसा अभिमान ना हैं

इतिहास मेरा क्या बताऊं वर्तमान में भी चर्चा हैं
रामायण मुझसे लिखी गईं, जिक्र वेदों में होता हैं
सफ़ेद पन्ने पर जब मुझको अच्छी नियत दौड़ाती
फिर बदलता हैं नज़रिया समाज भी आगे बढ़ता हैं

समझ गई मैं मेरी धार भी तुम्हारे सामने फ़ीकी हैं
बिन रक्त बहाए अस्त्र उठाए विजय तुम्हे मिलती हैं
अभिमान अपना मैं भूल गई तुमसे मैं आज हूं हारी
अभिमान के कारण ही विलुप्त मैं हुई अब लगता हैं

विलुप्त नहीं तुम तुम्हारे बिन तो हर योद्धा अधूरा हैं
खुशी हुई मुझको कि तुमने अभिमान अपना भूला हैं
तुम अपनी धार बढ़ाओ मैं कर्तव्य अपना निभाती हूं
खत्म करो भेदभाव अब मिल के हमे भारत बचाना हैं

✍️ ✍️ शिवोम उपाध्याय

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