Topic-” दिल का रिश्ता ”
सीरीज:वन
प्रतियोगिता: सकरात्मक प्रेम
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प्रेम को मैंने तब जाना जब,
मिला मुझे तुमसे पहला तराना,
वो पहली नजर जिसने मुझे,
किया तेरा दिवाना…
हर दिन नया सपना सा लगे,
तू मुझे कुछ अपना सा लगे,
पहली बारिश की बूँदों जैसा,
उठती मिट्टी की महक के जैसा,
जब जब तुझको देखूँ मेरे माथे
की बिंदिया के जैसा दिखे,
मेरा श्रृंगार तुम से है साजन,
मेरे जुड़े के बेल में तेरा प्रेम सजे,
सुख दुःख में हम साथ रहें सदा,
सातों वचन बस हम यूँही न कहें,
सात जन्म का मत कर वादा हमसे
बस सात मिनट भी हम प्रेम में रहें,
तू देना साथ समर्पण होकर मुझे,
मैं तेरी रहूँ समर्पित हो के तुझे,
आज में जिये सदा हम न कल,
न परसों न ही बरसों की बात कहें
कसमों वादों का नहीं है प्रेम जाल,
सच्चे प्रेम में तो बस आशिक जले
जब भी कर लो तुम अपने प्रियवर
से प्रेम, प्रेम की प्रीत दिन रात बड़े
नहीं चाहिए मुझे वक्त बरसों का,
तू बस अभी साथ है तो तू मुझे,
अपना लगे, न दिन की फिक्र
न रातों का गम, इस पल में
में मुझे तू मेरा कन्हैया लगे,
और अब क्या मांगू रब से मेरा,
जैसा सनम सबको मिले….!!!!
रुचिका जैन
अल्फाज़ ए सुकून