नेता बदलते हैं नीयत नहीं

🛑 *नेता बदलते हैं, नीयत नहीं* 🛑

नेता बदलते हैं, पर मंजर वही है,
वादों की चादर, भीतर जहर वही है।

हर चुनाव में नया चेहरा दिखाते,
पर नीयत के खेल पुराने ही रचाते।

सड़क हो, पानी या राशन की बात,
फाइलों में उलझे हैं जनता के हालात।

सरकारी दफ्तर में समय नहीं चलता,
चाय की चुस्कियों में सिस्टम ही पलता।

स्कूल की छत टपकती है बरसात में,
पर रिपोर्ट में सब चकाचक है बात में।

कॉलेज में प्रोफेसर लेक्चर नहीं लेते,
फिर भी नंबर सबको समान ही देते।

बच्चे लाइन में, मिड-डे मील की आस में,
नेता बैठा है ऐसी मीटिंग की साँस में।

अस्पताल में डॉक्टर नहीं, मशीनें बंद,
पर उद्घाटन में फ्लैश चमकता अनंत।

गाँव में बिजली दिन में आती नहीं,
पर कागज़ों में 24 घंटे जाती नहीं।

एम एल ए के इलाके में स्कूल बना नहीं,
फिर भी बजट सालों से घुला कहीं।

योजनाएँ आती हैं, भाषणों में दमकती,
पर जमीनी सच में वो कब उगती?

आरटीआई डालो तो फाइलें खो जाती हैं,
सच्चाई पूछो तो आवाज़ें सो जाती हैं।

नेता बदलते हैं, कुर्सियाँ सजती हैं,
पर नीयतें वैसी ही धुंधली बचती हैं।

भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं,
कि हर कोशिश अब बेअसर सी ठहरी है।

जनता चीखती है, पर सुनवाई नहीं,
सिस्टम कहता है – “ये हमारी जिम्मेदारी नहीं!”

विकास की बातें हर पोस्टर पे लिखी हैं,
पर सच्चाई मोहल्लों की गली में सिसकी हैं।

नेता बदलते हैं, ये वक्त की रीत है,
पर नीयत नहीं बदलती – यही तो असली प्रीत है।

📌 स्वाति ने कहा –
“जब सवालों पर सियासत चुप्पी साध ले,
तब कविता ही जनता की आवाज़ बन जाती है…”

✍🏻✍🏻Swati singh
*सेमीफाइनल चरण*

The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *