प्रतियोगिता – तंज की ताकत
विषय – न्यूज एंकर बनाम न्यूज
आजकल के न्यूज़ एंकर, खुद ही बन गए खबर,
बहस के नाम पर , बस फैलाते हैं तीखा ज़हर
सच की जगह आजकल, टीआरपी का बोलबाला है
न्यूज़ स्टूडियो में सच पूछो, झूठ का सिक्का उछाला है,
स्टाइलिश सूट, शोर-शराबा, बस बड़ी-बड़ी बाते होती हैं,
सीरियस मुद्दे नदारद हैं ,और सच्चाई सिसक सिसककर रोती है,
मुद्दों की जगह अब न्यूज़ में, आता है फिल्मी ड्रामा,
न्यूज़ एंकर पहना देते हैं, हर खबर को फिल्मी जामा,
हर एंकर खुद को समझे ,एक बड़ा सुपरस्टार,
पीछे रह जाती है खबरें, हर मुद्दे पर होती है तकरार ,
ब्रेकिंग न्यूज़ में सच्चाई की, अब चीख सुनाई देती है,
सूरत बदल बदल झूठ की , तस्वीर दिखाई देती है,
सवालों की बौछार है , मगर ज़वाब की जरूरत नहीं,
राज झूठ का चलता है यहां , सच की हुकूमत नहीं ,
पक्ष-विपक्ष की जगह अब है, एंकर की टीका-टिप्पणी,
लोगों की उम्मीदें और आवाज अब, रह गई है अनसुनी,
कभी तो न्यूज खुद ही , चीख-चीख कर रह जाती है ,
एंकर की अदाकारी में अब , हर सच्चाई छुप जाती है,
सच की जगह शोर अब , लगता है पब्लिक को अच्छा,
मंथन में अब दूध नहीं, पर फेन क्यों आता है सच्चा?
सोशल मीडिया के ट्रेंड पर, अब झूमते हैं ये महारथी,
रियल रिपोर्टिंग गुम गई , बस हेडलाइंस ही हैं बोलती,
खबरों की सच्चाई अब , बक्सों में कैद हो गई ,
झूठ बन गया हीरो जग में , सच्चाई पलक भिगो गई ,
एंकर्स की बहस में गुम हो गयी, आम जनता की आवाज,
स्टूडियो के शोर में दिखता है , अब न्यूज़ एंकर का अंदाज,
बस बोलते हैं सुनते नहीं अब, सच्चे कोई सवाल,
न्यूज़ एंकर के चाल चलन पर , कोई होता नहीं बवाल ।।
-पूनम आत्रेय
द्वितीय चरण