भविष्य का एक नागरिक
विद्या :-स्वैच्छिक पत्र
काल्पनिक पात्र के आधार पर शैली;- प्रिया मेरी आज के दुनिया के लोगों लिए मैं दिखाती हूं आपको अपनी मासूम आंखों से आज की दुनिया का आईना
मैं वर्ष 2085 के भविष्य की एक नागरिक को स्वाति मैं मात्र अभी 19 साल की हूं और आज अपनी कॉपी में बैठे-बैठे आपको यह पत्र लिख रही हूं।
मेरी दादी कहती है हमारे समय में पेड़ बहुत होते थे इतने कि उनकी छाया में पूरा मोहल्ला ठंडा पड़ जाता था पर हमारे भविष्य में पेड़ तो बस तस्वीरों में है असली में तो सिर्फ एक रोबोटिक के द्वारा बगीचे में कृतम पेड़ देखती हूं जिसे मुझे कभी-कभी फूलों की जगह मशीनों की खुशबू आती है।
मी दादी यह भी बताते हैं कि हमारे यहां बारिश की बूंदे गालों पर पढ़ते ठंड सी लगती है और बच्चे मिट्टी में खेलते थे तब हम भविष्य के नागरिक बारिश होने के लिए स्क्रीन पर वीडियो देखते हैं क्योंकि असली बारिश तो साल में एक दो बार ही होती है और हां वह भी कड़वी सी महक के साथ।
मेरे पापा कहते हैं पहले आसमान में तारे चमकते थे पर मैं भविष्य का नागरिक ठहरी मैं तो सिर्फ प्लास्टिक वाले देखे हैं जो मेरी छत पर चिपके हैं और रात में बल्ब की मदद से चमकते हैं मेरी ख्वाबी ख्याल में सोचती हूं क्या सच में इतने छोटे दीपक कभी आकाश में जलते थे
मैंने सुना था यार आपके टाइम में लोग एक दूसरे को बिना डरे गाले लगते थे अब तो संक्रमण हो जाएगा दूर रहो बस यही फैसला रखते हैं।
मेरा एक रोबोट दोस्त है पर उसका सीना ठंडा है जैसे यार उसमें ना कोई दिल और ना ही कोई धड़कन है।
और एक बात कहनी है मेरी प्रिय साथियों—
अगर आप यह पत्र पढ़ रहे हो तो हां दिल से कहती हूं प्लीज पेड़ मत काटना ,नदियों को गंदा मत होने देना ,और हां होने वाले प्रदूषण से आसमान को धुएं मत होने देना।
मेरी ख्वाहिश है कि मैं भी किसी दिन असली पेड़ की छांव में शुद्ध वातावरण की हवाओं में फिर बैठकर आपको एक पत्र लिख सकूं लेकिन इस बार यह कमियां और गलतियां बताने नहीं बल्कि दिल से आपको अपनी कलम से आपका शुक्रिया लिख सकूं
आपकी स्वाति
जो भविष्य 2085 की एक नागरिक है
Swati singh
Ghaziabad