विषय: माँ भारती
माँ भारती की क्या गाथा सुनाऊँ
पंख फैला कर उड़ मैं जाऊँ
रखूं पाँव जब धरती पर
माँ भारती को नमन मैं कर जाऊँ…
बड़ी मुश्किल से भारत में मिला जन्म
बन जाओ तुम भाग्यशाली ,
जब निकले यहाँ पर दम
हर किसी की आँखें हो जाती नम….
माँ कुछ ऐसी है, हर किसी को कुछ ना कहती है, अपने में है मगन हर किसी का खयाल वह रखती है, दुश्मनों को भी गले लगा लेती ऐसी है माँ भारती…
वो खेतों की हरियाली में मुस्काती है,
सिपाही के बलिदान में भी चुपचाप रो जाती है।
उसकी ममता हिमालय सी अडिग है,
उसकी माटी में खुद प्रभु की महक है…
गाँधी की लाठी , रानी की तलवार
जब उठे देश के लिए हथियार
दुश्मनों का लूट जाए संसार
हर दिल में है माँ भारती के लिए प्यार…
देश को स्वतंत्र करने के लिए
कितने उपाय अपनाए
शहीदों ने भी अपनी जान पर
खेल कर दुश्मनों के छक्के छुड़ा आए…..
नेहरू का सपना, भगत का जोश,
आज भी दिल में वही देशभक्त होश
सुभाष की गूंज – “तुम मुझे खून दो…”
वो आज भी हवा में गूंजता है रोज़…….
हर एक नागरिक में है माँ भारती
के लिए सम्मान
तभी तो हिन्दु , मुस्लिम, सिख
इस्साई माँ भारती को करे सलाम…..
तिरंगा हर घर की पहचान है
हर किसी के लिए दिल व जान है
झुकने नहीं देंगे माँ भारती के सपूत
कुछ भी हो जाए पर बनेगे नहीं कपूत…
ये रंग नहीं, ये इतिहास बोलते हैं,
इनमें शहीदों के अरमान डोलते हैं।
केसरिया कहे — वीरता की पुकार,
सफेद में है शांति का प्यार।
हरा रंग बोले — समृद्धि का गीत,
चक्र घुमाए — प्रगति की रीत।
हर लहर में है आज़ादी की शान,
तिरंगा नहीं, ये है भारत की जान।
माँ भारती मंद मंद मुस्कुराए
हर घर में जीत का बुगल बजाए
स्वतंत्रता दिवस हर कोई मनाए
इस दिन शहीदों को याद भी कर जाए….
माँ भारती मंद-मंद मुस्कुराए,
जब हर दिल से देशभक्ति झर-झर बरसाए।
स्वतंत्रता दिवस पर हम प्रण ये दोहराएं
कि भारत को हम फिर सोने की चिड़िया बनाएँ!
©® मलविंदर कौर
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