प्रतियोगिता ३ :चरण १
मेहनत एक मूल मंत्र
चलता चल तू, चलता चल,
मेहनत है अपने हाथ में।
उठ चल, अपनी किस्मत
अब खुद ही लिख अपने साथ में।
मत पाल कोई संशय, कोई भ्रम,
तेरे हिस्से के कर्म —
ना टाल किसी और पर।
आलस को त्याग कर कर्म को प्रधान रख ।
आज ही “आज” है — कर दृढ़ कर्म,
जी-तोड़ मेहनत कर,
खुद को खुद से बेहतर बना,
हर रोज़ निखर।
अपने कदम से,
कदम बढ़ाता चल।
चलता चल तू, चलता चल।
मत बैठ किस्मत को पकड़ के,
अपना भविष्य तू आप गढ़।
क्यों रखे मन में कोई मलाल?
औरों की टोका-टोकी को
ख़ुद में शामिल कर,
कर कर्म — हो खड़ा!
मेहनत का न कोई दूसरा विकल्प!
हर सुबह की पहली किरण निकलती,
प्रकृति एक नया संदेश देती।
तेरे साथ ऊषा की लालिमा,
जग खड़ी होती !
और डालता सूरज है संकेत विश्राम
का ना की विराम का !
ना रुक, ना थम — निरंतर चलता चल,
जैसे सूरज, हवा, रौशनी, वनस्पति,
अपना फ़र्ज़ निभा रहे —
बिना रुके, बिना थके।
तू भी ख़ुद को मजबूत रख,
ना समझ खुद को दूसरों से कमज़ोर।
अपना उज्ज्वल भविष्य लिखता चल,
चलता चल तू, चलता चल।
किरण बाला
नई दिल्ली