मैं समय से शिकवा नहीं करता

लेकर जज्बा शिवोम नित आगे बढ़ता
चुनौतियों का सामना भी डट के करता
दिखाता हैं हिम्मत संघर्ष जारी रखता
हा मैं समय से शिकवा नहीं करता….

अंधकार में भी रास्ता हूं मैं ढूंढ लेता
दृढ़ संकल्प के साथ आगे हूं बढ़ता
परिस्थिति जैसी भी हो मेरे सामने
मैं कभी समय से शिकवा नहीं करता…

जिंदगी की डगर में रास्ते टेढ़े भी मिलते
मैं बन मुसाफ़िर बस चलता जाता हूं
चुभ जाते है जो कांटे मै निकाल फेंकता
बेवजह मैं समय से शिकवा नहीं करता..

हर मुश्किल का डट के मैं सामना करता
मां का आशीर्वाद लेकर हूं आगे बढ़ता
बुरे समय को भी सहज स्वीकार करता
फिर भी मैं समय से शिकवा नहीं करता

मौत भी लौट जाती हैं मेरा मस्तक चूमकर
फिर जिंदगी में बाकी हैं भला कौन सा डर
जो मिली ठोकरें उनसे सीख बढ़ता जाता
मैं भूल के भी समय से शिकवा नहीं करता

दिनकर, निराला ही आदर्श हैं शिवोम के दोस्तो
कलम रूपी हथियार भी हैं मुझको वरदान मिला
अपनी कलम को न्याय दिला बस लिखता जाता
मैं कवि समाज का समय से शिकवा नहीं करता

आरजू ये कि बस हर बच्चा अब स्वावलंबी बने
आत्महत्या अवसाद को जड़ से मिटा शिवोम
हर बच्चा जो अपना भविष्य अब खुद लिखता
वो कहे हा मैं भी समय से शिकवा नहीं करता

✍️ ✍️ शिवोम उपाध्याय

प्रतियोगिता – बोलती कलम
राउंड वन
विषय – मैं समय से शिकवा नहीं करता

अल्फ़ाज़ ए सुकून

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