प्रतियोगिता -3 (जयघोष)
सीरीज वन
विषय -” मैं ही परिवर्तन ”
हूं ” मैं ही परिवर्तन” अगर हम सोच ले तो
कर्म करना आसान हो जाएगा
जुनून की सारी हदें पार होंगी
परिवर्तन तब जाकर कहीं हो पाएगा ।।
केवल परिवर्तन के सपने देखते रहे तो
फिर यह कहां मुमकिन हो पाएगा
जोश मेहनत लगन धैर्य शामिल करेंगे
तो बिल्कुल परिवर्तन का दौर आएगा ।।
गवाह है इतिहास जिसने भी लाया बदलाव
स्वयं के प्रयास से सफल हो पाया है
यथार्थता का एक ज़िद्द होता है यह
जमाने के हर डर से ऊपर इसकी काया है ।।
रूपांतरण पहले स्वयं के अंदर होता
तब बाहर छलक कर क्रांति लाता है
बनता एक और एक जुड़कर एग्यारह
समाज के अंदर की हर भ्रांति तोड़ता है ।।
जिस दिशा में भी घुल रही हो विषाक्त पदार्थ
वहां पर अपने शुद्ध चरित्र को करेंगे चरितार्थ
मानस पटेल पर ला कर नवीनीकरण
दिखला देंगे अपना सामाजिक हितार्थ ।।
दर्शक बनकर केवल हमें नहीं जीना
बेहतरीन समाज के लिए बहायेंगे पसीना
गिराएंगे वह दीवार जहां बढ़ेगा अत्याचार
इसका ना खेद है और होगा कभी ना ।।
सब बोलो मिलकर हूं “मैं ही परिवर्तन”
कर ले हम सब समाज को बदलने का जतन
गलतियां जहां भी हो रही हो करेंगे सुधार
करेंगे नवीनता व परिवर्तन का जय जयकार ।।
सुमन लता ✍️
अल्फाज़ -e-सुकून
प्रथम चरण