कविता प्रतियोगिता: शब्दों की अमृतवाणी
शीर्षक : मोबाइल की दुनिया से पहले का बचपन और रिश्ते
बचपन के दिन भी कितने सुहाने थे
जब न था कोई मोबाइल ,सभी बस अपनी ही खेल की
दुनिया में दीवाने थे ।
प्रातः जैसे ही सभी विद्यालयों को जाते थे
कितने आनंदित होकर वापस लौट आते थे ।
अपने परिवार के साथ बैठकर भोजन करके
सारे किस्से और कहानियां बतलाते थे ।
बात जब गर्मियों की छुट्टियों की करूं तो कैसे सभी
अपने -अपने नानीजी के घर जाने को
उतावले से हो जाते थे ।
वहां अपने सभी भाई बहिनों के साथ खूब मस्ती और हुड़दंग मचाते थे ।
कहां गई वो सच्ची दुनियां,जिनमें छिपे एहसास कहीं थे
रखते थे सब रिश्तों से नाता
अपनेपन के वो साज निहित थे ।
पुराने खेल ,पुरानी बातें,मस्तीभरे वो राज कई थे
ढूंढ रही हु इन बातों में ,अब वो प्यारे खेल कहां है
वो बचपन में बनने वाली, सब मित्रों की रेल कहां है।
बिना मोबाइल फोन के उस दुनियां में
बस टेलीविजन ही हुआ जब करते थे
कैसे सब बच्चे और परिवारजन साथ बैठकर
दूरदर्शन पर हर प्रोग्राम मिलकर के देखा करते थे ।
न था कोई और माध्यम बातचीत और सामाजिक ऐप का
केवल और केवल सभी अपने ही
माता पिता और परिवार संग समय व्यतीत करते थे ।
न रहे अब वो मित्र भी अब
जैसे पहले सभी साथ रहते थे
मोबाइल और आधुनिकता भरे गैजेटवादी खेलों ने
कैसे रिश्तों में दूरियां खड़ी की है ,
सभी ने मिलकर के एक बचपन की जीवंतता समाप्त सी की है ।
नाम – स्वाति सोनी
स्वाति की कलम से ✍️
प्रथम चरण प्रतियोगिता