*मोहब्बत का लॉगआउट*
पहले कोई पसंद आए, फिर आए नज़दीक,
उसके होने से अच्छा लगे ,और तो सब ठीक।
ये मोहब्बत भी एक बुख़ार है, यक़ीन करो,
उसके मैसेजेस को हर हाल में “सीन” करो।
प्यार में आजकल तो ये तकनीक हावी है,
कबूतर की जगह फेसबुक ही काफ़ी है।
इंस्टाग्राम पर रील्स और स्टोरी लगाओ,
ज़रूरी है कुछ लोगों से इसे बस छुपाओ।
मोहब्बत में सुना था आदमी बदल जाता है,
हालात अगर बुरे हों तो भी निकल जाता है।
पर ये तो पहले की बातें थीं ,जो अब नहीं हैं,
जेब में गर पैसा हो, आदमी बहुत ही सही है।
मेरी नज़र में मोहब्बत आग है ,जला देती है,
दोस्तों को अपने नज़दीक से हटा देती है।
इसमें झुलसा हूँ मैं एक बार बहुत ख़तरनाक,
इसलिए मैं आजकल बोल पाता हूँ बेबाक।
विडंबना ऐसी कि क्या कहें मोहब्बत पर,
आदमी छोड़ देता है मोहब्बत को शक पर।
एक कच्ची डोर है जो एकाएक टूट जाती है,
जान से भी प्यारी आसानी से छूट जाती है।
फिर भी हीर-रांझा और लैला-मजनू ज़िंदा हैं,
और कुछ लोग मोहब्बत में बहुत शर्मिंदा हैं।
सबकी अपनी कहानी है और तो नज़रिया,
आजकल मोहब्बत में मिल जाती हैं दूरियाँ।
ख़ैर, इस मोहब्बत से कई शायर पैदा हुए हैं,
किसी ने पैसे कमाए तो कोई आकाश छुए हैं।
मोहब्बत भी क़िस्मत का महज़ एक खेल है,
इसके आगे तो ख़ुदा भी आसानी से फेल है।
दिल के जज़्बात पर बताओ ज़ोर किसका है?
मोहब्बत में दीवाना बनना बेशक लिखा है।
“शाह” है दीवाना बेशक आजकल मोहब्बत में,
इसलिए रहता है अब प्रेमिका के ही दहशत में।
स्वरचित:
प्रशांत कुमार शाह
पटना बिहार