मोहब्बत का लॉगआउट
कभी इश्क़ था इबादत, सुकून की एक दुआ,
अब DP बदलना और स्टोरी डालना ही बन गया रिवाज हुआ।
पलकों में सपनों का संसार अब किताबों में नहीं,
बस इंस्टा रील्स में बचा है इश्क़, पर वो भी झूठी ही सही।
कभी इंतज़ार की घड़ियाँ दिलों को धड़काती थीं,
चिट्ठियों की ख़ुशबू मोहब्बत सजाती थी।
अब ब्लू टिक का इंतज़ार ही मोहब्बत है,
सीन हुआ पर रिप्लाई नहीं — यही शिकायत है।
कहाँ वो मासूमियत, वो चुपके से मुस्कुराना,
अब तो है फ़ोटोशूट लव स्टोरी का जमाना।
कपल गोल्स में बस दिखावा है,
दिल के भाव नहीं, बस हैशटैग मोहब्बत का तमाशा है।
अब मोहब्बत में त्याग नहीं, न ज़िम्मेदारी,
बस रिचार्ज प्लान और स्नैपचैट स्ट्रीक की तैयारी।
“तुम्हारे लिए सब कुछ करूंगा” —
मतलब डाटा पैक खत्म हो गया तो तुम्हारा नंबर डिलीट करूंगा!
कभी कोई महबूब एक खत में ज़िंदगी लिख देता था,
अब कमेंट सेक्शन में “लव यू बेबी” कहकर दिल जीत लेता है।
दिलों का मिलन नहीं, बस फॉलो बैक का खेल है,
प्यार नहीं — बस एक कंटेंट क्रिएशन रिलेशनशिप मेल है।
कहाँ गए वो वादे जो बरसों निभाए जाते थे,
अब डिलीट चैट्स में रिश्ते दफनाए जाते हैं।
मोहब्बत अब ब्रांडेड गिफ्ट और सेल्फ़ी का सौदा है,
दिल टूटते नहीं, बस पासवर्ड बदलते झगड़ा होता है।
ओ मोहब्बत, तेरी पवित्रता को सस्ता बना दिया,
तुझे डिस्काउंट ऑफर में बेचकर तमाशा बना दिया।
तू कभी होती थी ख़ुदा की रहमत,
अब बस इन्फ्लुएंसर पोस्ट्स में एक स्क्रिप्टेड इबादत है।
अगर यही मोहब्बत है, तो सच मानो —
इसे लॉगआउट कर देना ही ठीक है,
क्योंकि आज के इश्क़ में सच्चाई नहीं,
बस दिखावे और लाइक्स की लीक है।
—ऋषभ तिवारी (लब्ज़ के दो शब्द)
प्रतियोगिता……….. तंज की ताकत,
टाँपिक……… मोहब्बत का लाँगआऊट,
भाषा…… हिंदी, कविता
विधा……… स्वैच्छिक काव्य, ज्ञान,
मोहब्बत जजब्तों की कहानी है,
जहाँ बेजुवा चलना कहानी है,,
बिन कहे समझ जाना ये जिन्दगानी,
हर हालातो में रिझना ये है रवानी,,
कठिन रास्तों पे ठहरना ये नदानी है,
मोहब्बत में खुद को भूल जाना ये दिवा न्गी है,,
हर पल उसके बारे में सोचना,अपने करीब पाना,
दूर होकर भी पास होना, खूबसूरत एहसास जताना,,
दिन रात सपने सजाना,घर बसाने का प्लान बनाना,
हर पल महसूस करना, यही सच्ची मोहब्बत हैं,,
“करते है तो मोहबत की बात,,
सच्ची मोहब्बत में करते है, हाऊस प्र प्रोजर,
यू फेक मोहब्बत में करते है, लव प्र प्रोजर,,
करते है यू ही मीठी मीठी बाते,कसमें वादे, निभाने के यू बातें,
दो कदम साथ न चल पायें यारों, करते है दिल से निकाल ने की बाते,,
झूठे फरैवी लोगों के इरादे से,बचना है यारो,
साथ चलने की करते, थे बातें यारो,,
ऐसे इन्सानों से बचना है,यारो जो मुँह फेरते हैं,
मुश्किल राहें थी तो बताना था, यारो,,
मोहब्बत इक इम्ताह, और परीक्षा है यारों,
पास, फेल होना जीत,की कहानी है यारों,
मोहब्बत में हारी जीती हैं,रुत की जवानी,
यही चलती रहती है, जिन्दा मरने की कहानी,
मैं तू मोहब्बत कर ती रहती हूं, यू ही,
आँखों को बन्द, और दिल् को लाँगआउट कर,,
“करती हूं बाय बाय और टाटा,,
यही जिंदगानी मेरी कहानी, साथ रहती हूँ रुत जवानी,
मोहब्बत की लाँग आउट, मेरी जुवानी, यही कहानी,
मेरी कहानी, सच्चे मोहब्बत में त्याग वो निशानी,,
राइटर…… खुशबू वर्मा
आगरा🖊️🖊️🖊️