Topic: मोहब्बत का लॉगआउट
हाय मेरी किस्मत, क्या दिन आए रे,
बीवी के ताने, मेरा बीपी बढ़ाए रे।
लॉकडाउन ने ऐसा कहर ढाया था,
मेरी मोहब्बत का लॉगआउट करवाया था।
मेरी डिग्री करदी वेस्ट,
मुझे बेरोजगारी का मज़ा चखाया था।
इंस्टॉल हुए नए ऐप, डिलीट हुई मोटिवेशन,
लॉगिन करते हर साइट पर बढ़ती रहती नौकरी की टेंशन।
घर वाले अलग डालते प्रेशर कमाने का,
स्कैम्स के चक्कर में मिलती नई नोटिफिकेशन।
बीवी:
ये तनख्वाह है या मज़ाक?
मेरे शॉपिंग के बिल से कम है ये सुनो मेरे हमराज़!
ऑनलाइन में हाथ चल जाते हैं,
तुम्हारी पगार देख अरमान मचल जाते हैं!”
पति:
खर्चों की लिस्ट देखो अपनी ओह महारानी,
हर दिन नया पार्सल, हर हफ्ते नई कहानी!
डिलीवरी वाला घर का सदस्य बन गया है,
मेरा बैंक बैलेंस तो स्वाहा हो गया है!”
बीवी:
“मेरी जान क्या तुम्हें अब मुझ पर शक होने लगा है?
तुम्हारा खाली पर्स देख, मेरा दिल भी रोने लगा है!”
पति:
“तुम तो ताना मारने का एक मौका ना छोड़ती हो,
अपने तेडे अल्फाजों से मेरी गर्दन मरोड़ ती हो।
ये कैसा पैसा ये कैसी शॉपिंग
ये तो सिर्फ मोह माया है।
मैंने तो तुम्हे अपने दिल से अपनाया है।”
बीवी:
“तुम्हें क्या लगा, मैं सब्जी मंडी की भीड़ थी क्या?
हां, पैसे थे, तभी तो हां कहा था,
वर्ना तुम्हारी सैलरी में मेरा गुज़ारा ना था!”
पति पत्नी दोनों पानीपत का युद्ध लड़ने लगे,
तभी बच्चों की किलकारियां आंसुओं में बदलने लगे।
दोनों की बहस थम गई।
एक पल पहले जो तलवारें खिंची थीं,
वे अब प्यार में बदल गईं।
हो जाएंगे आधा ही से पूरे यूं ही,
मिल जाएगा सही रोजगार कभी ना कभी।
लेकिन बच्चों का बचपन दोबारा लौट कर नहीं आता,
यह सच है जो झुठलाया नहीं जाता।
©Sadia
Based on true lifecycle of my dear uncle aunty