प्रतियोगिता ___ *तंज की ताकत*
टॉपिक ___ *मोहब्बत का लॉगआउट*
वैसे तो लिखता रहता हूं मैं भी किसी को याद कर के,
जो नही मिला मुझे हर दुआ और हर फरियाद कर के,
ये गैर मुकम्मल इश्क़ भी कितना अजीब होता है *राव*,
कभी शायर बना जाता है कभी जाता है बर्बाद करके।
देखो आज मुझको भी मोहब्बत पर तंज करना होगा,
इस नई विद्या में मुश्किलात का सामना करना होगा,
फिर हम तो ठहरे पहलवान भिड़ जाते हैं कलम लेकर,
लिखते हैं इश्क़ में दिल बड़ा रखना नहीं तो मरना होगा।
एक बात बताता हूं आज तुम्हे अपने पुराने दिनों की,
आगाज़ ए मोहब्बत में आई हुई तमाम मुश्किलों की,
पहलवानी के दिनों में एक लड़की आई थी जिंदगी में,
उसकी आवाज़ सुन लगता था वो चोरनी है दिलों की।
हम भी उन दिनों उसके प्यार में कुंवारे डोलने लगे थे,
वो दिन कहे तो दिन वो रात कहे , रात बोलने लगे थे,
इक दफा ही तो बताया था उसने मैं भी हूं नोजोटो पर,
मियां उसी वक्त नोजोटो में उसकी id खोजने लगे थे।
लेकिन सच है ऑनलाइन मिला प्यार कहां टिकता है,
इश्क़ के बाजार में जिस्मों का व्यापार कहां टिकता है,
ये दो दिन बात करना फिर मुंह उठा के निकल जाना,
इश्क़ प्यार के नाम पर ऐसा खिलवाड़ कहां टिकता है।
फिर उनके दिल के ऐप पर कोई और id लॉगइन हुई,
मेरी यादें वो फ़रियादें उनके लिए रिसाइकिलबिन हुई,
ये इश्क़ ये प्यार ये मोहब्बत से हमेशा ही दूर रहना है,
मेरे दर्द ए दिल में ये बातें हमेशा के लिए पिन हो गईं।
इस वाकये से मेरा दिमाग मोहब्बत से आउट हो गया,
हमेशा के लिए मुझे लफ्ज़ ए वफ़ा पर डाउट हो गया,
मोहब्बत में सभी लोग अलग – अलग हॉटस्पॉट लेते हैं,
तभी से इस दिल में *मोहब्बत का लॉगआउट* हो गया।
✍️ मयंक “राव”