प्रतियोगिता ‘ तंज की ताक़त ‘
विषय – मोहब्बत का लॉगआउट
प्यार,मोहब्बत,इश्क़ से अपनी थोड़ी दूरी है,
इन एहसासों से जज़्बातों से बस,थोड़ी दूरी है,
है,ऐसा भी नहीं कि कोई मिला नहीं…
पर कम्बख़त इस दिल ने उसे अपना माना नहीं।
जिसे समझा था ख़ास,वो सबके लिए आम निकला,
इश्क़ का पैग़ाम नहीं,बस टाईमपास का काम निकला,
दिल ने तो चाहा था बस थोड़ी सी वफ़ा,
मग़र सामने वाले के पास थी सिर्फ़ इंस्टा की चर्चा।
यूँ तो मोहब्बत के किस्से बहुत सुने है मैने,
मग़र,यहां तो सूरत को ही मोहब्बत समझा है सबने,
हंसी आती है ये सोच के अब मुझको,
फ़िल्टर मे रंगे चेहरों मे इश्क़ कैसे दिखता है सबको?
दिल की बातों का अब कोई मोल नहीं,
मेरे ‘सादे दिल’ का इंस्टा,फेसबुक पे कोई रोल नहीं,
लिखतीं थी जहां रूहानी इश्क़ पे कभी मैं,
अब किया है ख़ुद को वहां से लॉगआउट मैं।
यार,यहां इश्क़ की बातें तो सब करते है,
फेसबुक,इंस्टा पे कसमें वादे ख़ूब करते है,
ख़ैर अब,जो लिखा है सच है कोई मिलावट नहीं,
जो दिल मे था चलो आज कहा तो सही।
मसला ये नहीं की मैंने दिल लगाना चाहा नहीं,
पर,जो रूह को छू जाए ऐसा कोई मिला नहीं,
ख़ैर,अब किसी को समझाना मुनासिब नहीं,
इश्क़ अगर हो तो ख़ुदा की रहमत से कम नहीं।
मैं न साज – संवार मे,न दिखावे मे हूँ
मैं ‘सहर’अपनी ही सच्चाई के ज़बाब मे हूँ,
थोड़ी जिद्दी,कभी- कभी गुस्से मे सही,
पर कम से कम फ़िल्टर की मोहताज तो नहीं।
स्वरचित:
स्वीटी कुमारी ‘सहर’