प्रतियोगिता – (जयघोष)
फाइनल राउंड
विषय -” राष्ट्र प्रथम ”
छाएगा जब-जब देश पर संकट गहन
चुनाव रहेगा हमारा केवल ‘राष्ट्र प्रथम ‘
इस पर क्या सोचना क्या विचार करना
दिल देता गवाही हमेशा राष्ट्र के हैं हम ।।
यह बात नहीं है उड़ती-उड़ती हवाओं की
यह बात है धरातल से जुड़ें फिज़ाओं की
अगर कभी सरजमीं पर खरोंच भी आए तो
लहरा देंगे तिरंगा डर नहीं हमें किसी दिशाओं की ।।
राष्ट्रगीत राष्ट्रगान राष्ट्रहित सब गुनगुनाएंगे
मर मिटने की बात आए तो देश पर मिट जाएंगे
देश प्रेम तो बच्चे-बच्चे के रग-रग में है
देखेगा दुश्मन जब-जब हम तिरंगा लहराएंगे ।।
भुखमरी हो बाढ़ हो या हो गरीबी की मार
सहायता के लिए आगे बढ़ेगा ये हाथ बार-बार
राष्ट्रीय विकास का हमें रहता हरदम फिकर
पतन में कैसे देखेंगे कैसे न करेंगे मुद्दे की जीकर।।
बेख़ौफ़ कैसे सोए रहेगी हमारी जनता
दिल को बस यही रहती है बेहद चिंता
कैसे बेटियां सुरक्षित महसूस करें घर और बाहर
कैसे बेटों को मिलेगी रोजगारी का भत्ता।।
क्रांति की गूंज तो हर एक के मन में फूंक दें
देश को कैसे न ईमानदारी न्याय का रूख़ दें
देखा ना जाता देश को लड़खड़ाते हुए
क्यूं न देश को विकासशील से विकसित का हुक दें।।
सदियों से राष्ट्र प्रथम का बजता रहा है बिगुल
वीरता में उड़ा है दुश्मनों के घर तक धूल
आज भी हम अपना सर्वस्व न्यौछावर करेंगे
देश भक्ति के विपरीत हमें कुछ नहीं कुबूल ।।
सुनो! ओ मेरे देश के वासियों
हमें बस इसकी मिट्टी की ख़ुशबू में घुलना है
जब भी राष्ट्र को हमारी ज़रूरत पड़े
बस तमन्ना है इसी मिट्टी में मिलना है ।।
सुमन लता ✍️
अल्फ़ाज़ -ए-सुकून