कविता प्रतियोगिता: शब्दों की ताकत ( कलम से आवाज़ तक) द्वितीय चरण
विषय: (शब्दों से बदलाव)
भाषा की होती एक मूल इकाई
जिसका अर्थ समझलो भाई
सार्थक व निरर्थक बनते
जिनको हम शब्द है कहते ।
अभिव्यक्ति के माध्यम बनकर
करते हैं विचारों का आदान – प्रदान
इनकी तुलना करे तो सभी से निकलेगा
हर समस्या का निदान ।
शब्द एक है पर अर्थ अनेक
विविधता और विभिन्नता का है इनमें समावेश ।
रखते व्यक्तियों को जोड़ने की शक्ति
तो एक ही पल में तोड़े
भांति भांति के अर्थों को प्रकट करके ये
परिवेश का रुख है मोड़ें।
अपनी प्रस्तुति व व्यवहार से
प्रतिक्रिया में लाते बदलाव
कहीं दर्शाए धूप की किरणे
तो कहीं दर्शाए छांव।
जादुगर से बनकर ये
यकायक दिल को छू जाते
कभी शूल व पाषाण से बनकर
कितने हृदयों को पीड़ा ये पहुंचाते ।
होती है जिनसे भाषा विकसित
संचार के माध्यम को करते हैं परिकल्पित ।
भारतीय संस्कृति में ये ही ब्रह्म कहलाते
अपने विभिन्न प्रकारों व विधाओं से
सभी को अभिव्यक्ति सिखलाते ।
समाज को प्रेरित कर ,बदले दिशा इतिहास की
सार्थकता व सकारात्मकता बनकर बने
जो प्रेरणा व्यक्तित्व की ।
समझने के नजरिए की शब्द ही बनावे
जिनको न हो इनका ,अक्सर वो प्राणी बुद्धिहीन कहलाए।
वाणी में झलकती है सौम्यता
वहीं सिखलाते हमें जीने की गुणवत्ता।
शब्द ही महान बनाते
विचारों को अभिव्यक्त करके
जीवन का सार दर्शाते ।
स्वाति सोनी
स्वाति की कलम से ✍️