शब्दों से बदलाव

शब्दों से बदलाव

शब्द…
ये छोटे-छोटे अक्षर ही तो हैं,
पर इनसे पूरी दुनिया का चेहरा बदल जाता है।

एक शब्द से जंग छिड़ जाती है,
और एक शब्द से अमन का रास्ता बन जाता है।
एक शब्द किसी को तोड़ देता है,
और वही शब्द किसी को जीने की वजह बना देता है।

समाज की दीवारें तलवार से नहीं,
गलत शब्दों से टूटी हैं।
धर्म, जाति, रंग और भाषा –
इनके नाम पर शब्दों ने कितनों को बाँटा है।

पर वही शब्द जब सच्चाई बोलते हैं,
तो झूठ के साम्राज्य ढह जाते हैं।
वही शब्द जब इंसानियत का गीत गाते हैं,
तो नफ़रत की आग भी ठंडी पड़ जाती है।

दुनिया बदलने के लिए हथियार नहीं चाहिए,
बस कलम चाहिए और सच्चे शब्द।
क्योंकि शब्दों में इतनी ताक़त है –
कि राजा को भिखारी और भिखारी को राजा बना दें।

आज ज़रूरत तलवारों की नहीं,
बल्कि ऐसे शब्दों की है
जो सच बोलने की हिम्मत रखते हों।

क्योंकि तलवार ज़ख़्म छोड़ जाती है,
पर शब्द आने वाली पीढ़ियों का रास्ता तय कर जाते हैं।

— ऋषभ तिवारी (लब्ज़ के दो शब्द)

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