शब्दों से बदलाव

शब्दों से बदलाव
प्रतियोगिता 2 : अंतिम चरण

हर किसी को मयस्सर नहीं होती मुतमईन जिंदगी
गुलामी के दायरे से किसी को गुजरना ही पड़ता है
हर किसी को शोहरत अदा नहीं फरमाती ये जिंदगी
महशर का सामना किसी को करना ही पड़ता है
आसान नहीं होता शब्दों के जादू से किसी की जिंदगी महकाना
गम के अंधेरों में डूबकर औरों की जिंदगी को रोशन कर जाना
बिल्कुल आसान नहीं होता खुली आंखों से ख्वाब देख पाना
और फिर उन ख्वाबों को हकीकत में तब्दील कर पाना
मैं अपनी इस “शब्दों की दुनिया” में हर दिन गोते लगाता हूं
हर पल हर लम्हे को बेहतर से बेहतरीन बनाता हूं
मेरी खुद की बनाई इस दुनिया का कोई अंत नहीं है
कुछ इस कदर मैं स्वयं में ही डूब कर नई उम्मीदों को पंख लगाता हूं
होने लगता कईं नई कहानियों का निर्माण
जब मिलने लगते शब्दों से शब्द
इख्तियार होने लगते फिर नये चेहरे
जो दे जाते पल-पल घाव कईं गहरे
मेरे शब्दों के इस हसीन सफर में
यूं ही हर कोई शरीक ना हो पाता
न जाने क्यूं मेरे मन को कोई समझ ना पाता
दिल में उठे उह बवंडर को कोई देख ना पाता
किसी शाम बैठकर चंद लम्हे अपने खातिर यूंही खरीद लेता हूं
फिर उस नामुकम्मल मोहब्बत के नाम पे लब्ज अपने मैं बेच देता हूं
कोई करता फरियाद या फिर मासूम निगाहों से करता कोई बात
चुप रह जाता मैं मगर फिर भी अपने शब्दों से ठोस जवाब दे देता हूं
दुनिया से जज्बात छुपाने के लिए मैने अपनी ही एक दुनिया बनाई है
हर लम्हे को शब्द के धागे में पिरोकर मैने ये “शब्दों की दुनिया” बसाई है
आंसुओं की आज रह ना गई कोई कीमत इस बेरहम बेशर्म जमाने में
मेरी कलम ने बस कर वहां उन बेशकीमती आंसुओं की कीमत समझाई है
कोरे पन्नै पे लिख कर अपने अल्फाज मैं निकल जाऊं किसी अनंत सफर पे
एक खालीपन सा लिये अपने दिल में अब भर लूं कोई उड़ान आज फिर से
आसान नहीं है अब बयां कर पाना अपने अंदर चल रही उस जद्दोजहद को
बस डूब जाऊं कल्पनाओं के उस समंदर में जहां से वापसी ना हो पाये फिर से।

गौरव सोनी
शब्दों की दुनिया

Updated: August 28, 2025 — 1:49 am

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *