सपनों की उड़ान

सीरीज 1 प्रतियोगिता 3
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प्रतियोगिता टॉपिक : “सपनों की उड़ान”
चरण : पहला
रचयिता : सुनील मौर्या

🌟 सपनों की उड़ान ✈️

सपनों के पंख जब दिल में सजते हैं,
हिम्मत के आकाश में ऊँचाई रचते हैं।

राहों में काँटे हों, या अंधेरा घना हो,
विश्वास के दीपक से सब रोशन हों।

छोटे-छोटे कदम भी पर्वत चढ़ जाते हैं,
सच्चे इरादे हों तो, हर मंज़िल पा जाते हैं।

डर से मत थम, उसे तू साथी बना ले,
असफलता को सीख से राह समझ ले।

गिरना, उठना, चलना— यही है सफ़र,
मेहनत ही खोलती है सफलता का द्वार।

सपनों की कोई सीमा नहीं होती,
इंसान की उड़ान आसमान है छूती।

रात का सन्नाटा सुबह में ढलता है,
हर संघर्ष जीत की राह दिखाता है।

जो खुद पर विश्वास रखता है,
वो हर तूफ़ान में भी टिकता है।

सपनों का आसमान दूर नहीं, पास है,
तेरी मेहनत ही तेरा विश्वास है।

तो पंख फैलाकर ऊँचा उड़ जाना,
मंज़िल से पहले तू ना रुक जाना।

कल का सूरज तुझे सलाम करेगा,
तेरा हौसला हर मुकाम लिखेगा।

सपनों की उड़ान है तेरी पहचान,
डाल दे तू, अपनी मेहनत में जान।

सुनील मौर्या

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