हर चुनौती तुम्हें विजेता बनती है जिंदगी की

*सेकंड राउंड*

विषय:- *हर चुनौती तुम्हें विजेता बनती है जिंदगी की*

जीवन हर मोड़ पर इम्तिहान रखता है,
और संघर्ष ही इंसान की पहचान रखता है।
बूढ़ा शरीर, काँपते कदम, फिर भी मुस्कुराता,
समय की मार झेलकर भी हिम्मत दिखाता।

दो हाथ नहीं, पर हौसले परवान हैं,
पैरों से चलता ट्रैक्टर, यही उसकी जान है।
भूख से तड़पता पेट, आँखों में आँसू,
किसी की रोटी ही उसके लिए है जादू।

ईंट गारे में पसीना टपकता,
झोपड़ी बनाते मजदूर सपनों को सजाता।
मगर वही ईंटें कभी किसी और की शान बनती,
उनके बच्चों के लिए रोटी तक नहीं छनती।

आईने में झाँकता एक मासूम गरीब,
अमीरी के सपनों से भरता है मन अजीब।
वह देखता है सोने का महल, अपने फटे कपड़ों में,
आँखों में चमक, पेट खाली सपनों के सपनों में।

और हम?
हम भी आईनों के कैदी हैं,
कभी शान ढूँढते, कभी कमी गिनते।
आईना सच नहीं, सिर्फ़ परछाईं है,
पर जीवन की असली ताक़त तो लड़ाई है।

हिम्मत वही, जो न थके विपत्ति में,
जीत वही, जो जले अंधकार की विपत्ति में।
संघर्ष से ही बनता हर विजेता,
हार से ही जन्म लेता असली नेता।

जीवन की डोर दुखों से बुनी जाती है,
मगर जीत उसी की जो हार से न डर पाती है।
दर्द में भी उम्मीद का दीप जलाना है,
यही तो असली इंसान होना है।

पेट की भूख से बड़ा कोई धर्म नहीं,
और इंसानियत से ऊँचा कोई कर्म नहीं।
हर बूंद पसीना कहानी कहता है,
हर आँसू हिम्मत की गवाही देता है।

गरीबी, अपंगता, भूख या मजबूरी,
यही असल इंसान की है दूरी।
जीतता वही है जो उम्मीद सँजोता है,
टूटकर भी हौसला न खोता है।

आईना सपने दिखाए चाहे झूठे,
मगर असली तस्वीर तो हौसलों से सच्चे।
और हाँ, हर चुनौती सिर्फ़ रास्ता दिखाती है,
हार नहीं, हमें विजेता बनाती है।

*अंतिम दो पंक्तियों की शायरी*—

“ज़िंदगी की किताब में हार कोई धब्बा नहीं,
हर जख़्म हीरे का रंग है, चमकता दबा नहीं।”

✍🏻Swati singh
Ghaziabad

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