विषय – मैं समय से शिकवा नहीं करती।
मैं समय से शिकवा नहीं करती,
समय ने ही यह सत्य दिखाया है,
पास समय नहीं था मेरे लिए ,
हर एक आज आंसू बहाने आया है।
हाँ आज जीवन को विराम मिला है,
मुझे कुछ राहत और आराम मिला है,
दो मिनट समय भी जो मुझे न दे पाएं,
आखिर कार आज सबका साथ मिला है।
न जाना किसी ने कि कितने थे हम अकेले,
आज पता नहीं क्यों सभी लगा बैठे है पास मेरे मेले,
जिन्होंने कभी खुशियों का एक लम्हा भी न दिया,
आज उन्होंने ढक दिया है फूलों से मुझे।
किसी अपने के साथ के लिए,
हाँ साथ वाले उस हाथ के लिए,
तरस गए थे हम एक समय पर,
आज कंधों ही कंधों पर जा रहे हैं लिए।
आज बना कर काफिला चले जा रहे,
सच मुझे सभी साथ लिए जा रहे हैं,
कल तक तो पास नहीं था कोई भी मेरे,
आज बस मेरा ही नाम लिए जा रहे हैं।
पर काश आज जो समय मेरे नाम किया
वो समय मेरे मांगने पर दिया होता,
यूँ मौत से इश्क़ न होता मुझे कभी,
जो जिंदगी रहते किसी ने थाम लिया होता।
(अक्सर हम ख्वाहिशों के पीछे भागते हुए भूल जाते हैं अपने के साथ को क्या पता किसी को हमारी या हमें किसी के साथ की जरूरत हो, समय रहते इस समय की कदर करें।)
– नेहा प्रसाद ‘नेह’
राउंड वन
प्रतियोगिता “बोलती कलम”
अल्फ़ाज़ ए सुकून।
धन्यवाद🙏💕