,कलम की धार तलवार से तेज
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जब से औरतों को भी ये हक मिला ,
क़लम को उसकी धार मिला,
तलवार से भी तेज उसने इसका
इस्तेमाल किया ,
औरत ही औरत की दुश्मन बनी बैठी,
थी जब तक वो निरक्षर थी ,
हक मिला उसको लड़ने का खुद के,
संग औरों की किस्मत संवारने का,
अब नहीं कोई उसको रोक सकता,
कोई नहीं उसको तलाक के तीन,
अक्षरों से भेद सकता जिद जुनून,
स्वाभिमान से भरी है वो खुद की,
ताकत पहचान चुकी हैं वो,
अब नहीं वो किसी से फ़रियाद करती,
खुद की कलम से किस्मत लिखती,
रीति-रिवाज से सजी-संवरी नहीं,
वो केवल एक मासूम सी नारी हैं,
कमजोर मत समझ अब उसको,
अब वो नहीं रुकने वाली है,
आज पत्रकारों की लम्बी खींची,
कतार हैं ,
उसमें हम महिलाओं का भी,
अपना एक मुक़ाम हैं,
डट कर हर बार दी अपनी एक,
पहचान है,
कलम की धार तलवार से तेज है,
ये एक बार और हमको खबर हैं,
कश्मीरी हमारे हम उनके सभी एक हैं ,
कलम ने उनको दिए सब अधिकार हैं,
जात न पात लडाई न झगड़ा अमन,
चैन सुकून हैं तलवार से क्या कर,
सकोगे तुम जो कलम ने किया उद्धार,
हैं दो बोल मीठे बोलकर दिल जीता,
जाता हैं कुछ चंद लफ्जों को,
लिखकर,अमर हुआ जाता है,
ताकत कलम में हैं प्यारे
हम तुम तो अभी नादां हैं,
अभी तो बहुत कुछ सीखना है,
जीवन में प्रतिस्पर्धा नहीं ज्ञान का,
दर्शन करना है खुद को बुलन्दियों
पर पहुंचाना हैं, कलम ही मेरी साथी
बनेगी यहीं मेरी भगवान हैं…….!!!!
रुचिका जैन 🙏
बोलती कलम.
राउंड टू.
अल्फाज़ ए सुकून