कलम की धार, तलवार से तेज

कलम की धार, तलवार से तेज़,
एक काटे देह को, एक जन्म दे विचारों को,
एक घाव दे, एक मन के घाव मिटाए,
कलम ही है जो सबको मानवता का पाठ पढ़ाए।

स्याही से लिखे कलम इतिहास नया,
जो पढ़े, वो बदले जहाँ सारा,
नन्हा सा शब्द, ताकत बने,
सच के दम पर वो हर बुराई से लड़े।

नफरत की दीवारें तोड़ देती,
प्रेम की राहें जोड़ देती,
जाति, धर्म, सीमाओं को मिटाए,
सम्पूर्ण विश्व को एकता का संदेश सुनाए।

तलवार की चमक फीकी पड़ जाए,
कलम का जादू अमर हो जाए,
शब्दों की सेना जब चल पड़े,
तब अज्ञानता का अंधेरा दूर हो जाए।

हो कलम की धार, तलवार से तेज़,
हर मन में उमंग जगाए,
शब्दों की गंगा बहे सदा,
सबको सत्य और प्रेम सिखाए।

है कलम में एक शक्ति जादुई सी
जो लिख सृष्टि का हर रंग,
उठा ले कलम, बन जा लेखक
और दे समाज को जीने की एक नई उमंग।

लेखक – मुकुल तिवारी “अल्हड़”
विषय – कलम की धार, तलवार से तेज
राउंड – 2
प्रतियोगिता – बोलती कलम

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