कलम की धार, तलवार से तेज़

कलम की धार, तलवार से तेज़

लिखने को लिख दूँ मैं पूरी कायनात,
साथ कलम के चलें मेरे ही अपने जज़्बात।
कलम की धार की बात ही निराली है,
जब चले पन्नों पर, बनती एक कहानी है।

दिल के शोर का हुंकार है कलम,
अपनों के लिए एक पुकार है कलम।
इसकी धार से तलवार भी मौन है,
कलम से बलवान बताओ कौन है?

मेरी कलम तो बेशक मेरा साथी है,
दिल की बात ये सबको बताती है।
इसके शोर से तख़्त ओ ताज हिल जाए,
बड़े-बड़े सूरमा भी मिट्टी में मिल जाए।

मेरी कलम की धार तलवार से तेज़ है,
इस बात से कतई नहीं मुझको खेद है।
विरासत में मिली है मुझको ये कलम,
मेरे लहू का साथी है और यक़ीनन वेग है।

चीत्कार लिखे कलम और लिखे पुकार,
सच की खातिर आवाज़ उठाए बारम्बार।
इस पर मुझको गर्व नहीं, बहुत घमंड है,
कलम की गोद में सम्मान बहुत प्रचंड है।

कलम की धार तलवार से तेज़ हो गर,
हिंसा नहीं, बस कुछ हिम्मत ही चाहिए।
सम्मान करो अपनी कलम का बहुत तो,
इसके लिए महज़ थोड़ा वक़्त ही चाहिए।

कलम की नोंक पर हमेशा दर्द और पीड़ा है,
विधवाओं का रुदन और बच्चों का क्रीड़ा है।
कलम को साथ लेकर चलने वाला बहादुर है,
कलम भी उसके लिए हमेशा से आतुर है।

कलम की ताक़त से पूरी दुनिया डरती है,
कलम वालों पर ये दुनिया खूब मरती है।
शाह भी बन गया एक अच्छा कलमकार,
जो लिखता है कमल से दर्द और प्यार।

– प्रशांत कुमार साह
राउंड टू
बोलती कलम
अल्फ़ाज़ ए सुकून

Updated: May 7, 2025 — 11:53 am

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