” कलम की धार तलवार से तेज़ “

प्रतियोगिता -बोलती कलम
विषय – “कलम की धार, तलवार से तेज़ ”

हां है कलम की धार, तलवार से तेज़
बड़ा तेज़ रहा है इसका हर किरदार
लिखा है इसने तंज, प्रेम, वीर, विरह रस
किया है हर पहलू का सदा साजो श्रृंगार ।।

जब उठा लेता एक कलमकार कलम को तो
बैठे बिठाए बदल देता मौसम- ए -बयार
जला दिया करता अंधेरे में एक ज्योत
मिटा देता मन का हमारा सारा विकार ।।

बिना रक्त बिना शक्ति के एक युद्ध जीत लेता
चुपके से कलम ही करता यह चमत्कार
अगर सकारात्मकता की ओर बढ़ जाए तो
बजा देता मन में खुशियों की झंकार ।।

हर तूफां को बढ़ा देता कर देता एकदम से ख़त्म
हां ख़ामोशी से चलता ये कभी हूंकार देता भर
याद रहे ज़िद्द पर यह अपनी अड़ जाए तो
कलम हमें जता देता अपनी योगिता और हुनर ।।

इतिहास भी बताता रहा है इसका अहमियत
किसी न किसी तरह इससे हमारा सरोकार
कलम की धार, तलवार से तेज़ है बेशक
जग भी करता रहा है इसे दिल से स्वीकार ।।

बताओ क्यों हम उठाए तलवार हाथों में जब
कलम से हो जाता हर दिशा में वार
सारी हसरतें इसी से पूरी करेंगे
बस रखना कलमकार इस पर थोड़ा इख़्तियार ।।

सुमन लता ✍️
अल्फाज़ -e-सुकून
राउंड -2

Updated: May 7, 2025 — 12:11 pm

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