“जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार?”

प्रतियोगिता: बोलती कलम
विषय : जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार
राउंड 3

सवाल एक ही उठता है बार-बार,
“जलवायु परिवर्तन, कौन जिम्मेदार?”

धुआं उड़ाता हर कोना, ये हवा हुई ज़हरीली,
फेफड़े झुलसते जाते है अब, सांसें लगती हैं कटीली।

पानी में बहता कलुष, नदियों का रोना है,
कारखानों के विष से हर कोना सलोना है।

कभी हंसती जाने वाली साफ नदियाँ अब बहती हैं आँसुओं में,
फैक्ट्री का ज़हरीला जल भर चुका इन धाराओं में।

लुप्त हो रहे जीव, प्रकृति का श्रृंगार,
मानव की करतूतों से मिट रहा ये संसार।

युद्ध की ज्वाला, हथियारों का शोर है,
विकिरण का खतरा, हर तरफ़ खौफ़ है।

रेडिएशन से धरती कराहे,
जंग के खेल में हथियारों की गूंज दहलाए।

कारखानों का कचरा, फैला है हर ओर,
सड़ने वाला, न सड़ने वाला, बोझ है कठोर।

वायु प्रदूषण से फेफड़ों में है कैंसर का डेरा,
ज़िंदगी हुई मुश्किल, हर तरफ धुएं का बसेरा।

इस धुएं को मिटाने का ढूंढें कोई हल,
साफ़ हवा में सांस ले, हर कोई हर पल।

मिट्टी कभी सोना थी, अब विष बनती जा रही है,
हम ही थे भूमि रक्षक,
पर हमारी भूमिका अब बदलती जा रही है।

प्रकृति की करुणा को समझ कर,
चलो करें हम इसका सम्मान।
अपनी गलतियों से सीखकर सब,
चलो करें एक नया निर्माण।

निर्माण एक हरी-भरी धरती का,
जहां शुद्ध हवा, शुद्ध जल का हो गान।

उजड़ती प्रकृति को बचाना नामुमकिन नहीं,
सबको मिलकर करना चाहिए इस विषय पर विचार,
फ़िर उन विचारों पर करना चाहिए कार।

पर हर बार उठता है एक ही सवाल,
“जलवायु परिवर्तन, कौन ज़िम्मेदार?”

©Sadia
Round 3

Updated: May 9, 2025 — 6:26 am

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