प्रतियोगिता – बूझो तो जाने
विषय – बदलाव की आंधियां
*Not for Marking*
थामी हैं कलम तो क्रांति भी हमे लानी होगी
अन्याय के विरुद्ध आवाज़ हमे उठानी होगी
कलम ही जरिया हैं बदलाव का एक शिवोम
बदलाव की आंधियां भी हमे लानी ही होगी
धर्म कोई हो साथ मिल देश को आगे बढ़ाना
एकता का भाव जन -जन तक तुम पहुंचाना
तोड़ेंगे तुम्हें भी कुछ धर्म के ठेकेदार मिलकर
बदलना उनकी सोच कमजोर मत पड़ जाना
इतिहास में झांकना पलटना किताबों को तुम
बदलाव की आंधियां पहले भी यहां आई हैं
उस दौर में कवि दिखाता समाज का आईना
आज के कवियों में देखो कैसी सुस्ती छाई हैं
बदलाव लाने से पहले बदलना खुद को तुम
लिखना जो भी संतुष्ट होना पहले खुद तुम
हर मुद्दे पर लिखो ऐसा अपना विकास करना
अंतरात्मा करे वाह-वाह ऐसा कवि बनना तुम
बदलाव की आंधी में कुछ मुद्दे अलग भी उठाना
नारी, भ्रष्टाचार,बुजुर्गों पर लिखना भूल न जाना
कलम जब भी उठे दिखाना अपनी प्रतिभा तुम
कलम थाम के साहित्य को बस आगे लेते जाना
लाऊंगा एक बदलाव की आंधी अल्फ़ाज़ में भी
बस साथ “शाह” कोई आपसा मुझे दोस्त चाहिए
इस मंच को अपनाकर जब सब परिवार मान ले
उस से बड़ा मुझे कोई और उपहार भी ना चाहिए
✍️ ✍️ शिवोम उपाध्याय
अल्फ़ाज़ ए सुकून