आदमी चुतिया है…
बीवी को कहे — घर बैठ,
“बहू का धर्म है चुप रहना”,
खुद चले क्लब में ठुमके लगाने,
और कहे — “मर्द का तो हक़ है जीने का!”
आदमी चुतिया है…
बेटा फेल हो तो बोले —
“सिस्टम ही सड़ा हुआ है!”
पड़ोसी की बेटी टॉपर हो जाए,
तो बोले — “कुछ तो गड़बड़ होगी इसमें!”
आदमी चुतिया है…
घर में दहेज़ ले आए,
बोले — “बस रस्मों की बात है”,
बीवी जल जाए तो बोले —
“किस्मत ही ख़राब थी उसकी…”
आदमी चुतिया है…
बोलता है — “बेटी बचाओ”,
फिर मोबाइल में MMS सजाए,
चंदा दे मंदिर को लाखों का,
पर भूखे को एक रोटी भी न खिलाए,
आदमी चुतिया है…
बाप बनने का हक़ चाहता है,
पर बाप की ज़िम्मेदारी से भागता है,
कहता है — “मर्द रोता नहीं”,
फिर शराब में डूब के रोता है,
आदमी चुतिया है…
हर बात पे ‘संस्कार’ की दुहाई देता है,
पर खुद ग़लत काम में सबसे आगे रहता है,
‘चरित्र’ पर प्रवचन देता है TV में,
और रात को चैट करता है छुपके DM में,
आदमी चुतिया है…
🔔 आख़िरी सबक:
अगर मर्द होना है तो
शरीर से नहीं, सोच से हो…
‘मर्दानगी’ अगर दूसरों को दबा कर आती है —
तो समझ लो,
आदमी सबसे बड़ा चुतिया है।

