मौसम बदला, पर मन नहीं

“मौसम बदला, पर मन नहीं”

मौसम ने फिर से करवट ली है,
फिज़ा में नमी, हवाओं में ठंडी सी पी है।
बूँदें तो बरसीं ज़मीन पर कहीं,
पर भीगा मेरा मन… अब भी वहीँ।

पेड़ बदल गए है अपने पत्तों को,
फूलों ने ओढ़ लिया है रंगों को,
हर डाली पर बहार सी छाई है,
पर मेरे दिल में तन्हाई समाई है।

चाय की प्याली अब भी गर्म लगती है,
तेरी यादों में शाम नरम लगती है,
वो हँसी तेरी जो चुपचाप दिल छू जाती थी,
अब हर सन्नाटे में बस वही रह जाती है।

सब कहते हैं आगे बढ़ो, ये तो बस एक फ़साना था,
पर उन्हें क्या पता, वो सादा सा प्रेम मेरा खज़ाना था।
न वादे किए थे, न कसमें खाई थीं,
बस आँखों में सच्ची मोहब्बत समाई थी।

मौसम बदला, पर मन नहीं ये हाल है मेरा,
हर रुत आई, पर दिल ने तुझसे नाता नहीं तोड़ा ज़रा,
तेरे नाम की बारिश अब भी रगों में बहती है,
तेरी सादगी ही तो मेरे हर मौसम में रहती है।

अब हर मौसम आता है कुछ नया लेकर,
पर मेरा मन है जो अटका है तेरे अंदर।
मौसम ने बदला अपना हर रंग सही,
पर सच्चा प्यार बदले… इतना आसान नहीं।

✍️Sw…

Updated: July 5, 2025 — 8:49 am

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