मोहब्बत का लॉगआउट

मोहब्बत का लॉगआउट

आधुनिकता प्रेम में भी दिखने लगी हैं अब
स्टेट्स और फोटोज से यहां इजहार होता हैं
रिश्ते भी डिटर्जेंट साबुन से हो गए हैं शिवोम
बहुत जल्द ही मोहब्बत में लॉगआउट होता हैं

दिल में जगह नहीं बस जिस्म ही हावी होता है
प्रेमी मंदिरों में नहीं होटलों के कमरों में दिखता
कभी ड्रम कभी सीमेंट में ये पाए अक्सर हैं जाते
आजकल की मोहब्बत का नाम ही मौत होता हैं

लास्ट सीन देख कर यहां नींद इनको अब है आती
सोचते मेरा बाबू कही और तो नहीं व्यस्त हो रहा हैं
ब्लॉक अनब्लॉक का खेल मोहब्बत में भी हैं चलता
अब आजकल कौन यहां किसी की परवाह हैं करता

इस आधुनिक दौर में भी मैने जिए हैं खूबसूरत पल
मोहब्बत में लॉगआउट नहीं परमानेंट यादें हैं स्टोर
दो दिलों के कनेक्शन को प्रेम की डोर से हैं जोड़ा
अफवाहों को परमानेंटली डिलीट करके हैं छोड़ा

कौन कहता हैं कि मोहब्बत अब सच्ची नहीं होती
इरादे नेक और हमसफ़र हो हसीं तो दूरी नहीं होती
मोहब्बत का एक नायाब तोहफ़ा खुदा ने हमे दिया
बिन मोहब्बत के मियां जिंदगी जिंदगी ही नहीं होती

मोहब्बत में लॉगआउट करने का ऑप्शन हटाना होगा
प्रेम की पाठशाला में सबको अब फिर से जाना होगा
शाह,मयंक, ऋषभ जैसे मोहब्बत अल्फ़ाज़ से बिखेरते
हमें भी अपने शब्दों से दिलो में जगह बनाना ही होगा

आधुनिकता से इंकार नहीं आधुनिक मैं भी बनना चाहता
बस ख्वाहिश छोटी सी हैं प्रेम में आधुनिकता नहीं चाहता
प्रेम एहसास हैं, इबादत हैं, दो दिलों के एक होने का यारों
प्रेम को ही पूजा और प्रेमिका को देवी “शिवोम” हैं मानता

✍️ ✍️ शिवोम उपाध्याय

मोहब्बत का लॉगआउट

आधुनिकता प्रेम में भी दिखने लगी हैं अब
स्टेट्स और फोटोज से यहां इजहार होता हैं
रिश्ते भी डिटर्जेंट साबुन से हो गए हैं शिवोम
बहुत जल्द ही मोहब्बत में लॉगआउट होता हैं

दिल में जगह नहीं बस जिस्म ही हावी होता है
प्रेमी मंदिरों में नहीं होटलों के कमरों में दिखता
कभी ड्रम कभी सीमेंट में ये पाए अक्सर हैं जाते
आजकल की मोहब्बत का नाम ही मौत होता हैं

लास्ट सीन देख कर यहां नींद इनको अब है आती
सोचते मेरा बाबू कही और तो नहीं व्यस्त हो रहा हैं
ब्लॉक अनब्लॉक का खेल मोहब्बत में भी हैं चलता
अब आजकल कौन यहां किसी की परवाह हैं करता

इस आधुनिक दौर में भी मैने जिए हैं खूबसूरत पल
मोहब्बत में लॉगआउट नहीं परमानेंट यादें हैं स्टोर
दो दिलों के कनेक्शन को प्रेम की डोर से हैं जोड़ा
अफवाहों को परमानेंटली डिलीट करके हैं छोड़ा

कौन कहता हैं कि मोहब्बत अब सच्ची नहीं होती
इरादे नेक और हमसफ़र हो हसीं तो दूरी नहीं होती
मोहब्बत का एक नायाब तोहफ़ा खुदा ने हमे दिया
बिन मोहब्बत के मियां जिंदगी जिंदगी ही नहीं होती

मोहब्बत में लॉगआउट करने का ऑप्शन हटाना होगा
प्रेम की पाठशाला में सबको अब फिर से जाना होगा
शाह,मयंक, ऋषभ जैसे मोहब्बत अल्फ़ाज़ से बिखेरते
हमें भी अपने शब्दों से दिलो में जगह बनाना ही होगा

आधुनिकता से इंकार नहीं आधुनिक मैं भी बनना चाहता
बस ख्वाहिश छोटी सी हैं प्रेम में आधुनिकता नहीं चाहता
प्रेम एहसास हैं, इबादत हैं, दो दिलों के एक होने का यारों
प्रेम को ही पूजा और प्रेमिका को देवी “शिवोम” हैं मानता

✍️ ✍️ शिवोम उपाध्याय

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