प्रतियोगिता – काव्य के आदर्श
विषय – अब ये चिड़िया कहाँ रहेगी
पीहर की डाल से उड़ चली चिड़िया, मन में सपनो का घर बसाए,
आंखों में अश्रु और भारी मन , कोई नहीं जो धीर बंधाए ,
नई दुनिया और नई डगर है , नए लोग और नया सा घर है,
छूट गया है नेह बाबुल का , अब नई जिंदगी ,नया शहर है,
खुली हवा से बंद पिंजरे तक , एक हाथ थाम कर चली क्यों आई ,
सब कुछ पीछे छूट गया अब, जीवन में ये गली क्यों आई,
संस्कारों की लिए पोटली , वो पीहर से पी के घर आई ,
सपनों के पर बांध दिए हैं और उम्मीदें सब तज कर आई ,
मैया के आंचल की छाया , भाई बहन की हंसी ठिठौली,
रंग हीन सपनों के पीछे , अब मर्यादा की बनी रंगोली,
अब ये चिड़िया कहां रहेगी ? कहां पाएगी ठौर ठिकाना ,
अपने ही जब हुए पराए , फिर किससे उम्मीद लगाना ,
है हिम्मत उसकी अभी भी जिंदा , एक दिन तो आकाश मिलेगा ,
जो वक्त ने बेवक्त कुचल दिया था , मन में फिर वही ख्वाब पलेगा ।।
पूनम आत्रेय
प्रथम चरण