शीर्षक – माँ भारती के नाम
प्रिय माँ भारती,
चलो वीरता और साहस लिखते हैं आज हम,
लिखते हैं गाथा शहीदों की अपने लहू से हम,
ज़ज्बा जिनका कम ना हुआ कभी लड़ते-लड़ते,
मर मिटे जो हँसते-हँसते मातृभूमि की बलिवेदी पर।
त्याग की बूंदों से सिंचा है आज़ादी का वृक्ष,
शौर्य की कहानियाँ हर शाख इसकी भेंट।
बलिदानों की वेदी पर झुका था शीष वीरों का,
लहू की धार से रचा गया स्वाभिमान हमारा।
माँ के आँचल में लिपटे गए वे सच्चे सपूत,
जो मिट गए मिट्टी के लिए, अमर हुए सपूत।
बच्चों के सिर से छीन गया था साया माँ-बाप का,
पर जज़्बा था बुलंद, उसको मिटा न पाया कोई।
हँसते-हँसते सह गए सारे ज़ुल्म-ओ-सितम,
स्वतंत्रता की मशाल जलाई हमने अपने लहू से।
रग-रग में बसा है माँ भारती का प्रेम यहाँ,
हर भारतीय का दिल धड़कता है उसके संग यहाँ।
वफ़ा का नाम भारत, जिएंगे इसकी आन में,
ज़िंदगी में सब कुछ है, मुझे गर्व इसकी शान में।
कतरा-कतरा लहू बहा देंगे, अपना शीष कटवा देंगे,
ना छीन सकता दुश्मन हमसे हमारी आज़ादी कभी।
सैकड़ों कुर्बानियों से पाई है हमने ये आज़ादी,
अभिमान इस पर, ईमानदारी से निभाई वफ़ादारी।
गद्दारी से दूर होकर, वफ़ा की राह हरदम चुनेंगे हम,
मर जाएंगे पर भारत की शान को बुलंद रखेंगे हम।
माँ तुझसे यही दुआ है—उज्ज्वल रहे भविष्य भारत का,
खिले सुमन प्रेम का, हर नागरिक बने तेरा सच्चा सिपाही।
तेरे आंचल में खिलें खुशियाँ, ना आए मुख पर उदासी,
यूँ ही तेरे लिए बहाए हर दिल अपना सच्चा प्यार।
“वतन की मिट्टी में है जादू, जो हर दिल को जोड़ता,
जहाँ खिलती है कलियां, वहीं से बढ़ता देश प्रेम हमारा।”
मैं गार्गी, अपने हृदय की गहराई से माँ भारती को सलाम करती हूँ,
और इस अमर भारत के प्रेम को सलाम करती हूँ, जो हर दिल को जोड़ता है।
नाम: गार्गी गुप्ता
स्थान: रायबरेली, उत्तर प्रदेश
पत्र किसकी ओर से लिखा गया है: एक नागरिक की ओर से
Bahot khub, jai Hind