हवस

तुझे देखना,
तुझे गले लगाना,
ये मेरी हवस नहीं है,
जो लोग समझते हैं।

तुझे छूकर जो एहसास-ए-सुकून मिले,
वो किसी बाज़ार की सौगात नहीं।
तेरी नज़ाकत को इश्क़ समझा है,
कोई राहगीर की बात नहीं।

तेरी महक में जो रूह बहक जाए,
वो मोहब्बत की परछाईं होती है।
जिसे हवस कहे ये दुनिया सारी,
वो मेरी इबादत की रुसवाई होती है।

मेरा इश्क़ तेरे रुख़सार से शुरू नहीं,
ना ही तेरी ज़ुल्फ़ों में उलझा है।
ये तो रूहानी बयार का क़िस्सा है,
जो हर ज़माने से पनपा है

Updated: April 13, 2025 — 1:43 pm

The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *