*भारत देश की वीरांगना बेटी स्वतंत्रता सेनानी झांसी की महारानी एक *स्वतंत्रता सेनानी* को मेरा कोटि कोटि *प्रणाम उनके चरणों में नतमस्तक होते हुए मेरा एक काल्पनिक पत्र उनके नाम* 🙏🙏
माँ झांसी की महारानी वीरांगना
भारत देश की वीर बेटी ….
इस देश की वीर बेटी बहुत अफसोस के साथ करुणा के साथ मैं आपको याद करते हुए आपको ये पत्र लिख रहीं हूँ आपने इस देश को एक निडर बेटी का रूप दिया था हाथों में चूडी कंगन पाजेब बिंदिया सिंदूर से सजी-संवरी मांग वाले हाथों में परिवार के साथ देश की रक्षा और खुद का स्वावलंबन दिया था अपने साथ अपनों की सम्मान के लिए नरसंहार करने देने का वचन दिया था फिर *कब?* इस देश की नारी स्वाभिमान को छोडकर दुनिया के भक्षकों के आगे नतमस्तक हो गई *कब?* अपनी अस्मिता का अधिकार दूसरों को दे दिया।कब? पढ़ने लिखने वाली नारी अपनी रक्षा को भी एक अपना अधिकार अपना उतरदायित्व मान कर खुद को शोषण से बचाएगी
*कब?* मेरी आपसे प्रार्थना हैं माँ की एक बार फिर से इस दुनिया को वो पाठ पढ़ाने आ जाओ नारी को शक्ति रूप का एहसास करवा दो माँ मोमबत्ती जलाना हमारा इतिहास नहीं
नारी तुम कमजोर नहीं इसका एक बार एहसास कराने आ जाओ। बेटी को गर्भ में मिटाने वालों को मिट्टी में मिलाने आ जाओ। मैं आपको याद करके आपके नाम एक पत्र लिख रहीं हूँ। हमारी संस्कृति, हमारी साड़ी,हमारा परिवार जिस से सम्भालने में आज ल़डकियों को लगता है भार उनको आप एक बार आकर बताओं यहीं संस्कार ताकत हैं हमारी
चूडी के संग संग हाथों में शस्त्र की तलवार भी चलाना बता जाओ फिर से डर से मुक्त एक नव भारत का निर्माण करवा जाओ माँ.झांसी के लिए शाहीद हुई फिर एक बार अपनी कुर्बानी याद दिला जाओ
चिड़ियों से फिर गूंजे भारत देश हमारा
स्वतंत्रता के गहनों से सजी हो हर नारी ऐसा मुक्त संसार का बिगुल बजा जाओ माँ
मैं एक नासमझ नादां तुम्हारी बेटी प्यारी जो करती हूँ काल्पनिक एक स्वप्न की इच्छा जो व्यक्त करती हूँ नम्र निवेदन स्वतंत्रता की सेनानी मेरा अनुरोध स्वीकार करो जो हुई भूल मुझे समझ अपनी बेटी माफ करो 🙏🙏पत्र समाप्त करती हूँ मेरी बातों को आप गौर कारो
आपके उत्तर के इंतजार में आपकी देश की बेटी
रुचिका जैन 🙏🙏🙏
अल्फाज ए सुकून