कोई स्वतंत्रता सेनानी

कोई स्वतंत्रता सेनानी

भगत सिंह

निगाहों को अगर इतिहास के पन्नों में मैं ले जाऊंगा,
तो मैं हिंद के एक क्रांतिकारी के बारे में बता पाऊंगा,
आज पढ़ना तुम मेरी काव्य रचना को ध्यान से यारों,
मैं उसकी इंकलाब की धार को कलम से दिखाऊंगा।

आओ आज तुम्हे उस दीवाने से रूबरू कराऊंगा,
आज़ादी के महान नायक की कुछ बातें बताऊंगा।
बचपन से ही इक क्रांति की आग थी उसके अंदर,
बालक कहता था मैं खेत में बंदूकें बोकर आऊंगा।

जब खेत में बंदूकों की फसल हो जाएगी तैयार तो,
फिर मैं उन्हीं बंदूकों को लेकर अंग्रेजों को भगाऊंगा,
दिखती थी उसके हर लफ्ज़ में इंकलाब की भूख,
उसके दिल की सुलगती आजादी की चिंगारी दिखाऊंगा।

बेटे की ऐसी बातें सुनकर घबरा जाती थी मां लेकिन,
पापा कहते थे मैं अपने बेटे को क्रांतिकारी बनाऊंगा,
आज उसकी वीरता को प्रणाम करने के लिए मैं तो,
सफ़ेद कागज़ के टुकड़े पर सुर्ख स्याही बिखराऊंगा।

उसका नाम लेने के लिए भी मैं बहुत छोटा हूं यारों,
फिर भी उसको लफ्जों में उतारकर खूब इतराऊंगा,
जलियांवाला बाग में कितने अपनों के शव देखे थे उसने,
कैसे एक चिंगारी अंगारों में बदल गई तुम्हे बताऊंगा।

सांडर्स की हत्या और उसकी गिरफ्तारी का वाकया बताऊंगा,
जेलों में घबराते हुए लोगों को बुजदिल कह जाऊंगा,
उस वीर बेखौफ युवक को प्रणाम करना तो बनता है,
जेल में किताबें लिखीं उसकी चेतना को महान बताऊंगा।

फांसी के दिन का वीरता भरा लम्हा तुम्हे बताऊंगा,
मां से मिलने का वो किस्सा तुम्हे आज सुनाऊंगा,
कहा मां तुम मेरी लाश लेने मत आना तुम रो पड़ोगी,
उसके लफ़्ज़ ग़मजदा कर गए पर उसकी वीरता की लाज रखने को मैं अपने आंसू छुपाऊंगा।

उस फांसी की मुकर्रर तारीख की कहानी सुनाऊंगा,
फंदे को निहारती उसकी बेखौफ नज़रें दिखाऊंगा,
जैसे मिल गया कोई साहिल आज गहरे समंदर से,
ऐसे ही उसको फांसी के फंदे में झूलता बताऊंगा।

आपसे वादा है आपके विचारों को हवा देता जाऊंगा,
हिंद पर आपके बलिदान का कुछ तो कर्ज चुकाऊंगा,
जब तक न इंकलाब जिंदाबाद लिखूं कलम से *राव*,
तब तक न मैं अपनी इस कलम को विराम दे पाऊंगा।

Updated: August 13, 2025 — 8:25 am

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