भविष्य का एक नागरिक

टॉपिक – “भविष्य का एक नागरिक”

मैं कल का भारत हूँ, मैं नई कहानी हूँ,
सपनों की उड़ान और मेहनत की निशानी हूँ,
सच को हथियार और ईमान को साथी रखूंगी,
अन्याय के आगे सिर कभी ना झुकाऊंगीं।

सीखूंगी संस्कृति, अपनाऊँगी विज्ञान,
रखूंगी दिल मे अपने देश का सम्मान,
भ्रष्टाचार को मिटाने की कसम मैं खाऊंगी,
मानवता के दीप से नया भारत सजाऊंगी।

जहां हर खेत मे हरियाली होगी,
हर चेहरे पर मुस्कान की लाली होगी,
ना भूख होगी, ना कोई बेघर होगा,
ना शिक्षा से तब, कोई वंचित होगा।

मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे संग खड़े होंगे,
इंसानियत के गीत सबके दिलों मे होंगे,
ना धर्म का झगड़ा ना जाति की दीवार होगी,
हम साथ होंगे और हमारी एकता मिसाल होगी।

जहां बेटियों को डरकर चलना न पड़ें,
और मां की आंख से चिंता के आंसू न गिरे,
जहां युवा को रोजगार के लिए घर न छोड़ना पड़े,
और हर तबके का बच्चा सपनों के पर फैलाएं।

तब, तिरंगे की शान मैं और बढ़ाऊंगी,
शहीदों के सपनों को साकार बनाऊंगी,
रौशनी बनूंगी अंधेरों मे, मिटाऊंगी हर कहर,
अपने देश का भविष्य कुछ ऐसा रचूंगी।

प्रस्तुत कविता:
(एक नागरिक की ओर से)
स्वरचित:- स्वीटी कुमारी ‘सहर’
स्थान – गया(बिहार)

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