प्रतियोगिता : स्वतंत्रता के स्वर
(भविष्य के एक नागरिक कों सम्बोधित पत्र है मेरा…
भावी नागरिक
ये पत्र तुम्हें लिखना बहुत जरूरी हो गया है, आधुनिकता की चकचोद में देश प्रेम अब थोड़ा कम हो रहा है, हर इंसान स्वर्थी बन,दिखावा करने मे लग गया है, स्वतंत्रता पर्व कों बस एक छुट्टी मानने लग गया है.. मैं चिंतित हूँ कि यूँही चलता रहा तो भावी नागरिक स्वतंत्रता का महत्व भूल जायेगा.. हमारे शहीदों का समर्पण, वीरों की कुर्वानी भूल जायेगा… माँ भारती के प्रति है जो सबका कर्तव्य, वो ना भूले, इसलिये तिरंगे का, स्वतंत्रता का महत्व भावी दुनियां कों बताना होगा.. जान नोछाँवर हॅसते हॅसते कर दी जिन्होंने,भगतसिंग, दुखदेव, राजगुरु कों सत सत नमन करना होगा…उन्हें अपने जीवन में आदर्श मान, भावी नागरिक तुझे चलना होगा…उनकी शाहदत कों बेकार नही होने देना है, अब तुम्हारे हाथ मे है भागदौड़, माँ भारती कों सदा खुश, हरा-भरा स्वतंत्र रखना होगा.. तिरंगा कोई कपड़ा नही स्वाभिमान है, देश की आन, बान, शान है.. इसके लिये कुरवान होना,अपना सबसे बड़ा सौभाग्य है… भर्मित ना होना तुम, तुम शिक्षीत, स्वतंत्र हो, राजनीती का जुमला सुनकर पथ से पर्थक मत हो जाना,उचित-अनुचित का विचार करना.. अपने वोट का सदप्रयोग करना, तुम नव भारत का भविष्य हो, भारत के नवनिर्माण मे सहयोग करना… देश प्रेम है सबसे ऊपर, जाति, धर्म का इसमें ना कोई स्थान लाना… सदा भाईचारा रखना, हम सब अलग-थलग नहीं,हम सभी भारतीय है और भारतीय होने का अभिमान रखना… तिरंगे कों सम्मान, राष्टगान याद रखना… ह्रदय में देश प्रेम का प्रवह रखना.. भूलना नहीं शहीदों की कुर्वानियां, उनकी गाथाओं कों सदा स्मरण कर, खून मे उबाल रखना, देश प्रेम का संचार रखना… घर घर लहराये तिरंगा ये ध्यान रखना… माँ भारती को हमेशा याद रखना, माँ सा सम्मान और सत सत नमन करना… मेरी बताई बात तुम सबकों बता देना, भावी नागरिक अब आगे तुम देश प्रेम का प्रवाह करना…
नाम : कबीर पंकज
स्थान : जयपुर, राजस्थान