प्रतियोगिता- ” शब्दों की अमृत की वाणी”
Topic- “चाँद चाँदनी का संसार”
चाँद धरती पर आता था ,
वो भी एक ज़माना था,
चांदनी बैठ उसके पास,
मुस्काती थी चांद भी थोड़ा
शर्म से मुस्का जाता था ….!!
चाँदनी कहती थी चांद से,
रुक जाओ तुम यहीं जमीं पे,
हम बनाएंगे एक आशियाना,
यहीं जमीन पर….!!
थोड़ी रेत तुम ले आना,
थोड़ी मिट्टी मैं ले आऊँ,
थोड़ा पानी तुम लाना ,
थोड़ा छप्पर मैं ले आऊँ,
थोड़ा प्रेम तुम लाना,
थोड़ा श्रृंगार मैं लाऊँ,
थोड़ा नखरे तुम दिखाना,
मैं तुमको मनाऊँ,…..!!
गाँव में होंगे
चर्चे हमारे प्यार के जो जायेंगे,
आसमान में ,देखों तुम मुकर,
न जाना कहीं ,अपने प्यार से,
हम बनाएंगे अपना एक घर,
यही कहीं इस संसार.में….!!
देखा दो दिलों ने एक सपना,
प्यारा सा हो घर अपना,
धरती के इस संसार में,
जगह नहीं रहीं इस जगत में,
कहीं प्यार में,घर घरोंदे बना,
डाले इतने इस संसार ने,….!!
शरणं लेनी पडी प्यार को,
चाँद के उस आसमान में,
चांदनी भी सिमट गई जाकर,
चाँद के बहुपाश में समझ गयी ,
न होगी जगह न होगी क़दर,
चंदा की चांदनी की इस संसार,
में..!!!
जी लेंगे हम वहीँ बनाकर एक घर,
अर्श के पनाह में, तुम भी आना,
वहीँ जब कम पड़ जाए ज़मीं
मुहब्बत, प्यार, प्रेम ,इश्क इस
दुनिया जगत संसार में…..!!!
रुचिका जैन 🙏
रुचिका जैन
प्रतियोगिता प्रथम चरण
अल्फाज़ ए सुकून