जिंदगी और उसका सच

प्रतियोगिता:- “शब्दों की अमृतवाणी”
विषय:- ” जिंदगी और उसका सच ”

जिंदगी आज एक नया मोड़ ले रही है,
कहीं पर सर झुका रही है, तो कहीं हाथ जोड़ रही है ।

कहती है मुझसे बहुत लड़ लिया तूने,
कहती है मुझसे बहुत लड़ लिया तूने,
संघर्ष करने के लिए अब…
    नए नए तोड़ दे रही है ।
जिंदगी आज…

कभी जो समझकर जिंदगी को, फैसला लिया मैंने कोई,
तो मुझे बीच राह में लाकर ही छोड़ रही है ।
जिंदगी आज…

रास्ता चुना मैंने और एक बार फिर कि शुरुआत,
सोचा इस बार तो मैं…जिंदगी को दे दूँगा मात,
पर! शुरुआत की थी जहाँ से,
लाकर वहीं फिर मुझे छोड़ रही है,
मेरे सपनों को पूरा होने से पहले ही तोड़ रही है ।
जिंदगी आज…

फिर भी एक सच है जो मैं आपको बताता हूँ,
जिंदगी हर कोई जीता है, इस बात से रूबरू करवाता हूँ।

जिंदगी हर कोई जीता है….
कोई सुख में, कोई दुःख में,
कोई खुशी में, कोई ग़म में,
कोई ज्यादा में, कोई कम में,
कोई हकीकत में, कोई भ्रम में,
कोई वाईन में, कोई रम में,
कोई दूसरों के, कोई अपने दम में,
कोई “मैं” में, कोई हम में,
और कोई ऐसे ही किसी वहम में,
जिंदगी हर कोई जीता है ।

हर इंसान के जीने का एक अंदाज़ होता है,
उस अंदाज़ के कल मे, कहीं ना कहीं आज होता है ।
फिर चाहे वह कैसी भी जिंदगी जीए..,
उसे, अपने इस अंदाज़ पर नाज़ होता है ।

लेकिन! इसमें एक बात छुपी हुई है,
  जो शायद, किसी ने भी ….नहीं है जानी ।
इसलिए तो जिंदगी जीने के इस अंदाज़ को,
                              कहते हैं ज़िन्दगानी ।
✍️अखिल त्रिखा.
द्वितीय चरण.

नए शब्दों का अर्थ ( उर्दू शब्द)

रुबरु- आमने-सामने
ग़म  – चिंता या शोक
नाज़- घमंड
मात – पराजय

Updated: August 22, 2025 — 6:56 am

The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *