प्रतियोगिता शब्दों की अमृतवाणी
विषय – मेहनत तुम दो फल हम देंगे
( ज़िंदगी कह रही )
मेहनत तुम दो फल हम देंगे
आगे पीछे की चिंता तुम नहीं हम करेंगे
ज़िंदगी कह रही है इंसान तू कर्म तो कर
हम और इससे ज़्यादा तुमसे क्या कहेंगे !!
अब नहीं सीखा तो कब सीखोगे ?
देख लो दुनियां बताओ ख़ुद को कहां रखोगे ?
हम कुछ ना कहेंगे तो वक्त कह ही देगा
बताओ कोई बहाना या मेहनत का दावा ठोकोगे ??
हमने देखा है बुजुर्गों को भी मेहनत में घिसते हुए
संघर्ष की चक्की में नामुमकिन को पीसते हुए
आश्चर्य बहुत लगता है हमें तब जब
ये सबल वाले दिखते हैं आराम कर भी रोते हुए !!
ख़ुद को दिखा दो दर्पण अपने ख़्वाबों का
ठान लो फिर सोचों इसे हकीकत करने का
हां आएंगी दीवार क्या-क्या कहेगा संसार
तुझे बेतुकी बातों का फिक्र नहीं करने का !!
निर्भर रहने वाले फिर कहां सुकून में रह पाते
निर्भरता उसे धीरे-धीरे दीमक की तरह खा जाते
कुछ बात गूढ़ उच्चतम का तुम समझ लो ना
फिर देखना कैसे तुम हर परेशानियों से पार पाते !!
मन में सवाल उठेगा तभी तो जवाब मिलेगा
परिश्रम के बिना तू कैसे आगे बढ़ेगा
मुश्किलें है तो क्या आती सबकी राहों में
बस दिखा दो सबको मंज़िल है तुम्हारी बाहों में !!
सुमन लता ✍️
अंतिम चरण
अल्फाज़ -e-सुकून